वाराणसी में पश्मीना का उत्पादन जल्द
- 17 Dec 2021
30 नवंबर, 2021 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अनुसार, खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने कच्चे पश्मीना ऊन के प्रसंस्करण और इस ऊनी कपड़े में आगे बुनाई के लिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी और गाजीपुर जिलों से 4 खादी संस्थानों को शामिल किया है।
(Image Source: https://www.greaterkashmir.com/)
महत्वपूर्ण तथ्य: पश्मीना की बुनाई वाराणसी में की जाएगी। जम्मू-कश्मीर के बाहर पश्मीना बुनाई के विरासत शिल्प को पेश करने का यह पहला प्रयास है।
- विश्व स्तर पर प्रशंसित पश्मीना ऊन उत्पाद, जो लेह-लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्रसिद्ध हैं, अब वाराणसी में भी तैयार किए जाएंगे।
- वाराणसी में पश्मीना बुनाई अगले साल जनवरी से शुरू होगी। वाराणसी के सेवापुरी आश्रम के 20 खादी कारीगरों को पश्मीना बुनाई का 30 दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- ‘पश्मीना बकरियाँ’ को चांगथांगी बकरियों के नाम से भी जाना जाता है। चांगथांगी बकरी के बाल बहुत मोटे होते हैं और इनसे विश्व का बेहतरीन पश्मीना प्राप्त होता है, जिसकी मोटाई 12-15 माइक्रोन के बीच होती है।
- चांगथांगी या पश्मीना बकरी, लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थानीय बकरी की एक विशेष नस्ल है। इन बकरियों को आम तौर पर ग्रेटर लद्दाख के चांगथांगी क्षेत्र में खानाबदोश समुदाय ‘चांगपा’ द्वारा पाला जाता है।
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