कोयला मंत्रालय की सतत विकास पहल
- 24 Nov 2021
कोयला मंत्रालय प्रतिबद्धता के अनुरूप अब व्यापक सतत विकास योजना के साथ पहले ही आगे बढ़ चुका है।
महत्वपूर्ण तथ्य: खनन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए सलाह, परामर्श और योजना कार्रवाई हेतु कोयला मंत्रालय में एक पूर्ण विकसित ‘सतत विकास प्रकोष्ठ’ (SDC) की स्थापना की गई है।
- अब से वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन तक कम करने की देश की प्रतिबद्धता के अनुरूप, सभी कोयला कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान के माध्यम से खनन की गई भूमि पर ‘जैविक सुधार’ पहले ही बड़े पैमाने पर किये जा चुके हैं।
- अगले पांच वर्षों में वृक्षारोपण के लिए 12000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को कवर करने का लक्ष्य है, जो प्रति वर्ष एक लाख टन से अधिक कार्बन सिंक क्षमता रखने में मदद करेगा।
- कोयला और लिग्नाइट कंपनियों ने 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ अतिरिक्त 5560 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता स्थापित करने की योजना बनाई है।
- अकेले कोल इंडिया ने अपने शुद्ध शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अगले 5 वर्षों में 3 गीगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करने की योजना बनाई है।
- पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए कोयला कंपनियों की ‘फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी’ परियोजना सड़क के माध्यम से कोयले की आवाजाही को समाप्त करती है।
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