जलवायु सुभेद्यता सूचकांक
- 09 Nov 2021
पर्यावरण थिंक टैंक 'काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वॉटर' (Council on Energy, Environment and Water: CEEW) द्वारा 25 अक्टूबर, 2021 को 'जलवायु सुभेद्यता सूचकांक' (Climate Vulnerability Index) जारी किया गया, जिसमें भारत के 640 जिलों का विश्लेषण किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य: यह अध्ययन भारत का अपनी तरह का पहला जिला-स्तरीय जलवायु भेद्यता आकलन है।
- यह एक्सपोजर (चरम मौसमीय घटनाओं के प्रति प्रवण जिला), संवेदनशीलता (मौसमीय घटनाओं का जिले पर प्रभाव की आशंका) और अनुकूलन क्षमता (जिले की प्रतिक्रिया) का मानचित्रण करके जलवायु भेद्यता सूचकांक प्रस्तुत करता है।
- अध्ययन में जल-मौसम संबंधी आपदाओं (hydro-met disasters) जैसे- बाढ़, चक्रवात और सूखा के संयुक्त जोखिम को देखा गया है और भेद्यता पर उनके मिश्रित प्रभावों को देखा गया है।
मुख्य निष्कर्ष: भारत की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी ऐसे जिलों में रहती है, जो अत्यधिक जल-मौसमीय आपदा की चपेट में हैं।
- असम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी चरम जलवायु घटनाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं।
- 27 भारतीय राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश चरम जलवायु घटनाओं की चपेट में हैं, 640 में से 463 जिले चरम मौसमीय घटनाओं की चपेट में हैं।
- भारत में छह क्षेत्रों में से पांच, यानी दक्षिण, उत्तर, उत्तर-पूर्व, पश्चिम और मध्य में अत्यधिक जल-मौसम संबंधी आपदाओं के लिए कम अनुकूलन क्षमता है।
जीके फैक्ट: असम में धेमाजी और नागांव, तेलंगाना में खम्मम, ओडिशा में गजपति, आंध्र प्रदेश में विजयनगरम, महाराष्ट्र में सांगली और तमिलनाडु में चेन्नई भारत के सबसे संवेदनशील जिलों में से हैं।
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