एनबीएफसी के लिए पैमाना आधारित विनियमन
- 30 Oct 2021
22 अक्टूबर, 2021 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) (Non-Banking Finance Companies:NBFC) के ‘पैमाने-आधारित विनियमन’ की घोषणा की।
(Image Source: https://www.financialexpress.com/)
महत्वपूर्ण तथ्य: देश में गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) को विनियमित करने के लिए एक चार-स्तरीय पैमाने-आधारित दृष्टिकोण 1 अक्टूबर, 2022 से इस क्षेत्र की कड़ी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए शुरू होगा।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आरम्भिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के सब्स्क्रिप्शन के वित्तपोषण के लिए प्रति उधारकर्ता 1 करोड़ रुपये की सीमा निर्धारित की है। यह सीमा 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होगी।
नियामक संरचना: नए ढांचे के तहत, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की नियामक संरचना में आकार, गतिविधि और कथित जोखिम के आधार पर चार परतें शामिल होंगी।
- सबसे निचली परत ‘आधार परत’ जिसमें 1,000 करोड़ रुपये तक की संपत्ति के साथ गैर-जमा लेने वाली एनबीएफसी होंगे।
- मध्य परत में जमा लेने वाली एनबीएफसी शामिल होंगी, चाहे संपत्ति का आकार कुछ भी हो; जमा न लेने वाली एनबीएफसी, जिनकी संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो; साथ ही हाउसिंग फाइनेंस फर्में भी शामिल होंगी।
- ऐसे एनबीएफसी, जो मापदंडों के एक सेट और स्कोरिंग पद्धति के आधार पर बढ़ी हुई नियामक आवश्यकताओं की गारंटी देते हैं, ऊपरी परत में शामिल होंगे।
- यदि नियामक को लगता है कि ऊपरी परत में विशिष्ट एनबीएफसी से संभावित जोखिम में पर्याप्त वृद्धि हुई है, तो उन्हें शीर्ष परत में डाला जा सकता है
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