जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण का ग्लोबल वार्मिंग पर प्रभाव
- 18 Sep 2021
8 सितंबर, 2021 को ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग को, वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित लक्ष्य अर्थात 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए वैश्विक ‘जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण’ (fossil fuel extraction) को तेजी से कम किए जाने की जरूरत है।
महत्वपूर्ण तथ्य: ग्लोबल वार्मिंग को, 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लक्ष्य को हासिल करने हेतु वैश्विक तेल और गैस उत्पादन में वर्ष 2050 तक प्रति वर्ष 3% की गिरावट होनी चाहिए।
- वर्तमान में, योजनाबद्ध और चालू, दोनों प्रकार की जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण परियोजनाएं, निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अनुकूल नहीं हैं।
- वर्ष 2050 तक, 58% तेल, 59% जीवाश्म मीथेन गैस और 89% कोयले के भंडार गैर- निष्कर्षित (Unextracted) होने चाहिए।
- 2020 की शुरुआत में प्रकाशित ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि जीवाश्म ईंधन से वायु प्रदूषण की वैश्विक लागत लगभग 2.9 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष या 8 बिलियन डॉलर प्रति दिन थी, जो उस समय दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 3.3% था।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत को जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से 150 बिलियन डॉलर की लागत वहन करने का अनुमान है।
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