मजिस्ट्रेट को यूएपीए के तहत जांच अवधि बढ़ाने का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
- 18 Sep 2021
11 सितंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मजिस्ट्रेट गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) (Unlawful Activities Prevention Act: UAPA) मामलों में जांच की अवधि बढ़ाने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: UAPA के तहत 90 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होती है। यदि नहीं हो, तो आरोपी डिफॉल्ट/ वैधानिक जमानत का हकदार है।
- शीर्ष अदालत का कहना है कि इस तरह के अनुरोध पर विचार करने के लिए एकमात्र सक्षम प्राधिकारी UAPA की धारा 43-D(2) (b) में निर्दिष्ट प्रावधान के अनुसार 'स्पेशल कोर्ट' होगा।
- UAPA के तहत सभी अपराध पर, चाहे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency: NIA) द्वारा जांच की गई हो या राज्य सरकार की जांच एजेंसियों द्वारा, NIA अधिनियम के तहत स्थापित 'स्पेशल कोर्ट' द्वारा विचार किया जाएगा।
- शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी एक UAPA मामले से सम्बन्धित थी, जिसमें मध्य प्रदेश में भोपाल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मार्च 2014 में जांच एजेंसी के अनुरोध पर जांच की अवधि बढ़ाने हेतु अनुमति दी थी।
गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम: यह अधिनियममूल रूप से 1967 में अधिनियमित किया गया था, जो ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकता है, जो देश की अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- 2004 में, संसद ने इस अधिनियम में आतंकवादी गतिविधियों को दंडित करने के लिए समर्पित एक अध्याय जोड़ा।
- अब, UAPA के तहत आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए मनी लॉन्ड्रिंग तथा समूहों/संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करना शामिल है।
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