आईपीसीसी छठी आकलन रिपोर्ट
- 31 Aug 2021
9 अगस्त, 2021 को जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की छठी आकलन रिपोर्ट जारी की गई।
महत्वपूर्ण तथ्य: रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वैश्विक तापन रुझानों से भारत में वार्षिक औसत वर्षा में वृद्धि होने की संभावना है, आने वाले दशकों में दक्षिणी भारत में और अधिक गंभीर वर्षा होने की सम्भावना है।
- अगले दो दशकों में पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में ग्रह अपरिवर्तनीय रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस गर्म होने की ओर अग्रसर है।
- जब तक सभी देशों द्वारा तत्काल अत्यधिक उत्सर्जन कटौती नहीं की जाती, 2015 पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्ति की संभावना नहीं है।
- रिपोर्ट में आईपीसीसी द्वारा सिफारिश की गई है कि अलग-अलग देश 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने का प्रयास करें।
- रिपोर्ट के अनुसार अपने उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए देशों द्वारा मौजूदा प्रतिबद्धताओं के आधार पर, दुनिया वर्ष 2100 तक वैश्विक तापमान में कम से कम 2.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की ओर अग्रसर है, इसे 'मानवता के लिए कोड रेड' (Code red for humanity) की संज्ञा दी गई है।
भारत पर प्रभाव: रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 7,516.6 किमी. समुद्री तट रेखा के साथ, भारत को समुद्रों के बढ़ते स्तर से अत्यधिक खतरों का सामना करना पड़ेगा।
- यदि समुद्र का स्तर 50 सेमी बढ़ जाता है तो छ: भारतीय बंदरगाह शहरों - चेन्नई, कोच्चि, कोलकाता, मुंबई, सूरत और विशाखापत्तनम में 28.6 मिलियन लोग तटीय बाढ़ के संकट का सामना करंगे।
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