किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021
- 09 Aug 2021
संसद द्वारा किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में संशोधन करने के लिए 28 जुलाई, 2021 को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021 पारित किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य: संशोधनों में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट सहित जिला मजिस्ट्रेट को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने के आदेश जारी करने के लिए अधिकृत करना शामिल है, ताकि मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित किया जा सके।
- जिलाधिकारियों को संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास करने के लिए और अधिक अधिकार दिए गए हैं।
- किसी भी ‘बाल देखभाल संस्थान’ को जिला मजिस्ट्रेट की सिफारिशों पर विचार करने के बाद ही पंजीकृत किया जाएगा।
- जिला मजिस्ट्रेट स्वतंत्र रूप से जिला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण समितियों, किशोर न्याय बोर्डों, विशेष किशोर पुलिस इकाइयों, बाल देखभाल संस्थानों आदि के कामकाज का मूल्यांकन करेंगे।
- वर्तमान कानून के तहत तीन तरह के अपराधों (हल्के, गंभीर, घृणित) को परिभाषित किया गया है। जिन्हें बच्चों के मामले में कानून से संबंधी किसी उल्लंघन पर विचार करते समय संदर्भित किया जाता है। संशोधन के अनुसार जिन अपराधों में अधिकतम सजा 7 वर्ष से अधिक कारावास है, लेकिन कोई न्यूनतम सजा निर्धारित नहीं की गई है या 7 वर्ष से कम की न्यूनतम सजा प्रदान की गई है, उन्हें इस अधिनियम के तहत गंभीर अपराध माना जाएगा।
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