तीसरी आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय बैठक
- 10 May 2021
8-9 मई, 2021 को भारत ने आर्कटिक क्षेत्र में अनुसंधान और सहयोग पर विचार-विर्मश के लिए आइसलैंड और जापान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीसरे आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय वैश्विक मंच बैठक (3rd Arctic Science Ministerial- ASM3) में हिस्सा लिया।
वर्ष का विषय: ‘नॉलेज फॉर ए सस्टेनेबल आर्कटिक’(Knowledge for a Sustainable Arctic)।
महत्वपूर्ण तथ्य: भारत ने आर्कटिक में, यथास्थान और रिमोट सेंसिंग (in-situ and by remote sensing) दोनों में अवलोकन प्रणाली में तथा ‘सतत आर्कटिक अवलोकन नेटवर्क’ (Sustained Arctic Observational Network- SAON) में योगदान करने की अपनी योजना साझा की।
- भारत ऊपरी महासागर कारकों और समुद्री मौसम संबंधी मापदंडों की लंबी अवधि की निगरानी के लिए आर्कटिक में खुले समुद्र में नौबंध (open ocean mooring) की तैनाती करेगा।
- यूएसए के सहयोग से निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar-NISAR) उपग्रह मिशन का शुभारंभ हो रहा है, जिसका उद्देश्य उन्नत रडार इमेजिंग का उपयोग करके ‘भूमि की सतह के परिवर्तनों के कारण और परिणामों’ (cause and consequences of land surface changes) का वैश्विक रूप से मापन करना है।
भारत और आर्कटिक: 2013 से, भारत को बारह अन्य देशों के साथ आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
- पेरिस में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर के साथ आर्कटिक के साथ भारत का जुड़ाव 1920 से है।
- जुलाई 2008 के बाद से, भारत के पास आर्कटिक में नॉर्वे के स्वालबार्ड क्षेत्र के न्यालेसुंड (NyAlesund) में हिमाद्री नामक एक स्थायी अनुसंधान स्टेशन है।
- भारत ने जुलाई 2014 से ‘कांग्सजोर्डन जोर्ड’ (Kongsfjorden fjord) में ‘इंडआर्क’ (IndARC) नामक एक बहु-संवेदक यथास्थल वेधशाला (multi-sensor moored observatory) भी तैनात की है।
अन्य तथ्य: पहली दो बैठकों ASM1 और ASM2 का आयोजन क्रमश: यूएसए (2016) और जर्मनी (2018) में किया गया था।
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