मूरहेन योगा मैट
- 06 May 2021
असम के मछुआरे समुदाय की छ: युवा लड़कियों द्वारा जल कुंभी (water hyacinth) से बायोडिग्रेडेबल तथा कंपोस्टेबल मैट (चटाई) (biodegradable and compostable yoga) विकसित की गई है। इस मैट को ‘मूरहेन योगा मैट’ (Moorhen Yoga Mat) के नाम से जाना जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य: ये लड़कियां मछुआरे समुदाय की हैं, जो गुवाहाटी शहर के दक्षिण पश्चिम में एक स्थायी मीठे पानी की झील दीपोर बील के बाहरी हिस्से में रहती हैं।
- दीपोर बील रामसर स्थल (अंतरराष्ट्रीय महत्व की एक आर्द्रभूमि) और एक पक्षी वन्यजीव अभयारण्य के लिए विख्यात है।
- यह झील मछुआरे समुदाय के 9 गांवों के लिए आजीविका का एक स्रोत बनी हुई है, जिन्होंने सदियों से इस बायोम का प्रयोग किया है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वे जलकुंभियों की अत्यधिक बढोतरी तथा जमाव से पीड़ित हैं।
- जलकुंभी से आजीविका तथा मछुआरे समुदाय द्वारा जलकुम्भी की समस्या से निजात पाने के लिए 6 लड़कियों की अगुवाई में समस्त महिला समुदाय ‘सिमांग’ (जिसका अर्थ स्वप्न) को शामिल करते हुए यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी निकाय ‘उत्तर पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं पहुंच केंद्र’ की एक पहल है।
- काम सोरई (दीपोर बील वन्य जीव अभ्यारण्य का एक निवासी पक्षी पर्पल मूरहेन) के नाम पर इसका नाम ‘मूरहेन योगा मैट’ रखा गया है।
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