भूजल की कमी से भारत में शीतकालीन फसलों की तीव्रता में कमी की संभावना
- 26 Apr 2021
अप्रैल 2021 में 'साइंस एडवांसेज' (Science Advances) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार गंभीर भूजल की कमी से भारत में शीतकालीन फसलों की तीव्रता या रोपित भूमि की मात्रा 2025 तक 20% तक घट सकती है।
महत्वपूर्ण तथ्य: अंतरराष्ट्रीय दल ने शीतकालीन फसली क्षेत्रों पर भारत के तीन मुख्य सिंचाई प्रकारों कुओं (dug wells), नलकूपों ( tube wells) और नहरों (canals) का अध्ययन किया तथा केंद्रीय भूजल बोर्ड के भूजल आंकड़ों का विश्लेषण किया।
- अध्ययन में पाया गया कि शीतकालीन फसलों वाले 13% गाँव गंभीर रूप से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में स्थित हैं।
- यदि भविष्य में सभी भूजल सिंचाई तक पहुँच ना हो पाए तो ये गाँव अपने फसली क्षेत्र का 68% हिस्सा खो सकते हैं। परिणाम बताते हैं कि ये नुकसान बड़े पैमाने पर उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में होंगे।
- उन्होंने पाया कि यदि सभी क्षेत्र, जो वर्तमान में सिंचाई के लिए भूजल का उपयोग कर रहे हैं, विकल्प के तौर पर नहर द्वारा सिंचाई को अपनाएंगे, तब भी फसल की तीव्रता में 7% की कमी हो सकती है।
- भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, देश में 30 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र इस फसल के उत्पादन के लिए समर्पित है।
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