हिमालय की गैर-एकरूपता से बहुत बड़े भूकंपीय घटनाओं का अनुमान
- 12 Apr 2021
9 अप्रैल, 2021 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार हिमालय के एकरूप ना होने के परिणामस्वरूप हिमालय में बड़ी भूकंपीय घटनायें हो सकती हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश को कवर करने वाले भारत के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र में 20वीं सदी के आरंभ से मध्यम श्रेणी से बड़े तक चार विध्वंसक भूकंप आ चुके हैं- 1905 में कांगड़ा में आया भूकंप, 1975 का किन्नौर भूकंप, 1991 का उत्तरकाशी भूकंप और 1999 में चमोली में आया भूकंप।
- ये भूकंपीय गतिविधियां बड़े पैमाने पर उपसतही विरूपण (subsurface deformation) तथा कमजोर जोन को दर्शाती हैं और संरचना के लिहाज से इन अस्थिर जोन के नीचे वर्तमान में जारी विरूपण की तह में जाने की आवश्यकता रेखांकित करती हैं।
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्थान, देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जिओलॉजी तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के शोधकर्ताओं के अनुसार उत्तर-पश्चिम हिमालयी क्षेत्र, क्रिस्टल में मौजूद एक एक विशिष्ट अभिलक्षण को प्रदर्शित करता है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय एकरूप नहीं है और उनका अनुमान है कि विभिन्न दिशाओं में विभिन्न भौतिक एवं यांत्रिकी गुण हैं।
- क्रिस्टल में मौजूद एक गुण जिसे एनिसोट्रॉपी (anisotropy) कहा जाता है, के परिणामस्वरूप हिमालय में काफी बड़े भूकंप की घटनाएं हो सकती हैं।
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