विश्व मलेरिया रिपोर्ट,2019
- 07 Dec 2019
- 4 दिसंबर, 2019 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व मलेरिया रिपोर्ट, 2019 जारी की, जो 2018 के अंत तक मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक प्रगति का सारांश है।
- यह WHO की मलेरिया के लिए वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016–2030(Global Technical Strategy - GTS) के लॉन्च के बाद से चौथी विश्व मलेरिया रिपोर्ट है।
- यह 80 से अधिक देशों के मलेरिया संचरण वाले क्षेत्रों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
प्रमुख निष्कर्ष
वैश्विक विशिष्ट निष्कर्ष
- वर्ष 2010 में 251 मिलियन और 2017 में 231 मिलियन मामलों की तुलना में 2018 में विश्व भर में मलेरिया के अनुमानित 228 मिलियन मामले थे।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 2018 में अधिकांश मलेरिया के मामले अफ्रीकी क्षेत्र (93%) में थे, इसके बाद दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र (SEAR - 4%) और पूर्वी भूमध्य सागरीय क्षेत्र (2.1%) में है।
- विश्व भर में मलेरिया के आधे से अधिक मामलों में छह देशों, नाइजीरिया (25%), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (12%), युगांडा (5%), और कोटे डी आइवर, मोज़ाम्बिक एवं नाइजर (4%) का हिस्सा है।
- 2010 से 2018 के बीच मलेरिया की घटना दर विश्व स्तर पर घट गई, जो प्रति 1000 आबादी पर 71 से 57 मामले हो गया है।
- अफ्रीकी क्षेत्र में प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम सबसे अधिक प्रचलित मलेरिया पर जीवी है, जो 2018 में अनुमानित मलेरिया मामलों के 99.7% के लिए जिम्मेदार है।
- 75% मलेरिया के मामलों का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिका के क्षेत्र में प्लास्मोडियमवाइवैक्स (Plasmodium vivax) सबसे प्रमुख परजीवी है।प्लास्मोडियम वाइवैक्स भारत में अधिकांश मामलों के किये जिम्मेदार है ।
- 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे मलेरिया से प्रभावित सबसे कमजोर समूह हैं। 2018 में, विश्व भर में मलेरिया से होने वाली मौतों में उनका 67% हिस्सा था।
उच्च बोझ से उच्च प्रभाव
- 2018 में 11 उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (High Burden to High Impact - HBHI) देशों में लगभग 155 मिलियन मलेरिया के मामले थे, जबकि 2010 में 177 मिलियन थे।
- पिछले वर्ष की तुलना में 2018 में,भारत और युगांडा में मलेरिया के मामलों में पर्याप्त कमी हुए है जिसके कारण डब्ल्यूएचओ ने विशेष उल्लेख किया है।
भारत विनिर्दिष्ट विशेषताएं
- भारत में,2017 की तुलना में 2018 में 2.6 मिलियन मलेरिया के मामलों में कमी देखी गई | डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे अधिक मलेरिया प्रभावित देश होने के बावजूद, भारत ने 2017 की तुलना में रिपोर्ट किए गए मामलों को आधे से कम कर दिया।
- 2018 में, 29 राज्यों में से केवल सात राज्य कुल मामलों के 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।
2010 की तुलना में 2018 में भारत में अनुमानित मलेरिया के मामले
मलेरिया के मामले की अनुमानित संख्या (मिलियन में)
झारखण्ड पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ ओडिशा गुजरात मध्य प्रदेश
स्रोत:IE
रिपोर्ट का महत्व
- व्यापक अद्यतन सूचनाप्रदान करना: यह वैश्विक और क्षेत्रीय मलेरिया डेटा और रुझानों पर एक व्यापक अद्यतन सूचना प्रदान करता है। यह रिपोर्ट मलेरिया कार्यक्रमों और अनुसंधान के साथ-साथ सभी हस्तक्षेपों,रोकथाम, निदान, उपचार, उन्मूलन और निगरानी, में प्रगति को समाविष्ट करता है।
- ट्रैकिंग रोल बैक मलेरिया (आरबीएम): यह मलेरिया के खतरे को समाप्त करने से सम्बंधित योजना रोल बैक मलेरिया (आरबीएम) का प्रति पालन और कार्यान्वयन निर्धारित करता है एवं निवेश को सुगम बनता है ।
- मलेरिया के खिलाफ रणनीति पर प्रकाश डालना: रिपोर्ट में मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में निवेश के विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डाला गया है जो एसडीजी की प्राप्ति और 13वें जनरल प्रोग्राम ऑफ़ वर्क (GPW13) के “ट्रिपल बिलियन” लक्ष्यों में योगदान देता है।
मलेरिया उन्मूलन की दिशा में पहल
वैश्विक पहल
मलेरिया के लिए वैश्विक तकनीकी रणनीति (GTS), 2016-2030
- इसे मई 2015 में विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाया गया था | जीटीएस, मलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रगति के लिए देशों को मार्गदर्शन करता है।
- रणनीति 2016-2030 की अवधि में महत्वाकांक्षी लेकिन प्राप्य लक्ष्य निर्धारित करती है, जिसमें शामिल हैं:
- कम से कम 90% मलेरिया के मामलों में कमी,
- मलेरिया मृत्यु दर को कम से कम 90% कम करना,
- कम से कम 35 देशों में मलेरिया को खत्म करना,
- मलेरिया से मुक्त सभी देशों में मलेरिया के पुनरुत्थान को रोकना |
- यह जोखिम वाले क्षेत्रों की सभी आबादी के लिए कोर मलेरिया हस्तक्षेपों के सार्वभौमिक कवरेज की आवश्यकता पर जोर देता है और निर्णय लेने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले निगरानी डेटा का उपयोग करने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
मलेरिया से मुक्त विश्व : एक नजर |
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स्तंभ 1 |
मलेरिया की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करें |
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स्तंभ 2 |
मलेरिया मुक्त स्थिति के उन्मूलन और प्राप्ति की दिशा में प्रयासों में तेजी लाना |
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स्तंभ 3 |
एक कोर हस्तक्षेप में मलेरिया निगरानी रूपांतरण |
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उद्देश्य |
मील के पत्थर |
लक्ष्य |
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2020 |
2025 |
2030 |
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1. 2015 की तुलना में मलेरिया की मृत्यु दर को कम करना |
कम से कम 40% |
कम से कम 75% |
कम से कम 90% |
2.2015 की तुलना में विश्व स्तर पर मलेरिया के मामले/घटनाओं को कम करना |
कम से कम 40% |
कम से कम 75% |
कम से कम 90% |
3. 2015 में जिन देशों में मलेरिया का संक्रमण हुआ, उनमें से मलेरिया को खत्म करना |
कम से कम 10 देश |
कम से कम 20 देश |
कम से कम 35 देश |
4. मलेरिया मुक्त सभी देशों में मलेरिया की पुन:स्थापन को रोकना
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पुन:स्थापन को रोकना |
पुन:स्थापन को रोकना |
पुन:स्थापन को रोकना |
GTS: मलेरिया के लिए वैश्विक तकनीकी रणनीति2016-2030 |
विश्व का पहला मलेरिया वैक्सीन
- अफ्रीकी देश मलावी ने अप्रैल, 2019 मेंग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GSK) द्वारा विकसित विश्व का पहला मलेरिया टीका, RTS,S/AS01 (RTS,S) लॉन्च किया।
- टीका नियंत्रण का एक पूरक उपकरण है - जिसे मलेरिया की रोकथाम के लिए WHO द्वारा सुझाए गए उपायों के मुख्य संकुल में जोड़ा जाना है |
- उच्च बोझ से उच्च प्रभाव
- नवम्बर 2018 में, WHO ने RBM के साथ मलेरिया के खिलाफ ‘उच्च बोझ से उच्च प्रभाव: नियोजित मलेरिया प्रतिक्रिया’ (High burden to high impact: a targeted malaria response) को मोजाम्बिक में लॉन्च किया ।
- यह वैश्विक मलेरिया के खिलाफ प्रगति को पुनः प्राप्त करने के लिए देशों को प्रतिबद्ध करता है।
- इसका उद्देश्य रोकथाम और उपचार को बढ़ाना है, और कमजोर लोगों को घातक बीमारी से बचाने के लिए निवेश को बढ़ाना है।
- यह योजना मलेरिया मामलों और मौतों की अधिकता वाले देशों को मदद करती है,जो चार स्तंभों पर आधारित है-
- मलेरिया से होने वाली मौतों को कम करने के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक राजनीतिक पर ध्यान देना,
- सूचना के रणनीतिक उपयोग के माध्यम से ड्राइविंग प्रभाव,
- मलेरिया स्थानिक देशों के लिए उपयुक्त सर्वोत्तम वैश्विक मार्गदर्शन, नीतियों और रणनीतियों की स्थापना,
- एक समन्वित देश प्रतिक्रिया को लागू करना।
ई-2020 पहल
- प्रमुख मानदंडों के आधार पर 2016 में WHO ने 5 क्षेत्रों के 21 देशों की पहचान की, जहाँ से 2020 तक मलेरिया का पूर्ण रूप से उन्मूलन हो सकता हैं। साथ में, वे ई-2020 पहल का निर्माण करते हैं।
- यह इन 21 देशों में मलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रगति और चुनौतियों पर नवीनतम जानकारी प्रदान करता है।
भारतीय पहल
मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-22)
- जुलाई, 2017 में शुरू की गई यह योजना अगले 5 वर्षों में मलेरिया की समाप्ति के लिए वर्षवार उन्मूलन लक्ष्य निर्धारित करती है।
- इसमें अगले पांच वर्षों के लिए मलेरिया निगरानी को मजबूत करना, मलेरिया के प्रकोप का जल्द पता लगाने और रोकथाम के लिए एक तंत्र स्थापित करना, लॉन्ग लास्टिंग इन्सेक्टीसाईडल नेट्स (LLINs) के उपयोग से मलेरिया की रोकथाम को बढ़ावा देना, प्रभावी इनडोर स्प्रे और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जनशक्ति और क्षमताओं में वृद्धि करना शामिल है।
- इसके तहत 2022 तक मलेरिया को खत्म करने की परिकल्पना सभी 15 कम (श्रेणी 1) और 11 मध्य (श्रेणी 2) प्रसार वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों सहित सभी 26 राज्यों के लिए की गई है।
मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय ढांचा- 2016-2030
- मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय ढांचा- 2016-2030,WHO के वैश्विक तकनीकी रणनीति (GTS) और एशिया पैसिफिक लीडर्स मलेरिया एलायंस मलेरिया एलिमिनेशन रोडमैप के अनुकूल है |
लक्ष्य
- 2030 तक पूरे देश से मलेरिया (शून्य देशी मामले) को खत्म करना,
- उन क्षेत्रों में मलेरिया-मुक्त स्थिति बनाए रखना, जहाँ मलेरिया संचरण समाप्त हो गया है, और मलेरिया के पुन:संचरण को रोकता है।
प्लास्मोडियम प्रजाति (Genus)
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आगे की राह
- मलेरिया प्रभावित जनसंख्या समूहों, व्यक्तियों और समुदायों पर भारी आर्थिक और सामाजिक बोझ डालती है। सबसे अधिक वंचित आबादी, विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं,के मलेरिया से सबसे प्रभावित होने की संभवना सबसे अधिक होती है।
- वैश्विक गरीबी और असमानता मलेरिया का प्रमुख कारण और परिणाम दोनों हैं। मलेरिया को रोकने, नियंत्रित करने और खत्म करने के प्रयासों ने सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को 3 - स्वास्थ्य और सभी के लिए कल्याण में योगदान दिया है।
- इसके अलावा, मलेरिया से मुक्त विश्व को प्राप्त करना, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) के सफल अंगीकरण द्वारा त्वरित होगा, जो हर जगह सुलभ, सस्ती और टिकाऊ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगा।