नई एंटीबायोटिक्स के उपयोग पर सख्त दिशानिर्देश
- 25 Apr 2025
25 अप्रैल,2025 को संक्रमण रोग विशेषज्ञों ने भारत में शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स के अनुचित और व्यापक उपयोग पर चिंता जताई है, जिससे उनकी प्रभावशीलता कम हो रही है और दवा प्रतिरोध (ड्रग रेजिस्टेंस) बढ़ रहा है। विशेषज्ञों ने दवाओं के नियंत्रक जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से इन नई दवाओं के उपयोग के लिए कड़े नियम बनाने का आग्रह किया है।
प्रमुख तथ्य :
- सीफ्टाजिडाइम-एविबैक्टम का दुरुपयोग: यह अंतिम विकल्प एंटीबायोटिक 2015 में अमेरिकी FDA द्वारा और 2018 में भारत में मंजूर किया गया था। इसे केवल कार्बापेनेम-प्रतिरोधी ग्राम-नेगेटिव संक्रमणों के लिए लक्षित थेरेपी के रूप में उपयोग करना चाहिए, लेकिन यह व्यापक रूप से गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है।
- प्रतिरोध की समस्या: अज्ट्रोनम को अक्सर सीफ्टाजिडाइम-एविबैक्टम के साथ जोड़ा जाता है, लेकिन इस संयोजन के खिलाफ भी प्रतिरोध विकसित हो चुका है, जो अनुचित उपयोग का परिणाम है।
- नई एंटीबायोटिक्स का आगमन: भारत में जल्द ही दो नई शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स, सेफेरोकोल और सेफेपाइम-ज़िडेबैक्टम, बाजार में आएंगी, जिनके उपयोग को नियंत्रित करना आवश्यक है।
- नियामक दिशा-निर्देशों की कमी: DCGI ने इन दवाओं के लिए केवल उपयोग के संकेत दिए हैं, लेकिन कोई स्पष्ट नियामक मार्गदर्शन नहीं है जिससे गलत प्रिस्क्रिप्शन को रोका जा सके।
- एमआरए संकट: भारत में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) एक गंभीर समस्या बन चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना त्वरित और सख्त कार्रवाई के यह संकट नियंत्रण से बाहर हो सकता है।
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