वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2021
- 06 Feb 2021
25 जनवरी, 2021 को जर्मनी के बॉन में स्थित जर्मनवाच नामक गैर-सरकारी संगठन द्वारा ‘वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2021’ जारी किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य: 2021 में जारी सूचकांक, वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक का 16वां अंक है। इसमें वर्ष 2019 और 2000-2019 के दशक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
- 2019 में सबसे अधिक प्रभावित देश/क्षेत्र मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे, बहामास, जापान, मलावी तथा अफगानिस्तान रहे, जबकि 2000-2019 के पूरे दशक में सर्वाधिक जोखिम का सामना प्यूर्टो रिको, म्यांमार और हैती ने किया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, 2000-2019 के बीच 11,000 से अधिक चरम मौसमीय घटनाओं के परिणामस्वरूप लगभग 4,80,000 लोगों ने प्रत्यक्ष रूप में अपना जीवन खोया और लगभग 2.56 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।
भारत की स्थिति: सूचकांक में, भारत को उन देशों में सातवें स्थान पर रखा गया है, जो 2019 में जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित थे।
- वर्ष 2019 में भारत में मानसून सामान्य से एक महीने अधिक तक जारी रहा। भारी बारिश के कारण भारत में भयंकर बाढ़ आई, जिसके परिणामस्वरूप 14 राज्यों में 1,800 लोग मारे गए। बाढ़ से 1.8 मिलियन लोगों का विस्थापन भी हुआ।
- वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 में भारत की रैंक 5 थी, जो वर्ष 2018 की घटनाओं के आंकड़ों पर आधारित था।
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