अंटार्कटिका के लिए 40वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान
- 07 Jan 2021
भारत ने अंटार्कटिका के लिए 40वां वैज्ञानिक अभियान शुरू किया। इसे 5 जनवरी, 2021 को गोवा से जहाज के साथ रवाना किया गया।
मुख्य उद्देश्य: जलवायु परिवर्तन, भू-विज्ञान, महासागर पर्यवेक्षण, बिजली और चुंबकीय प्रवाह माप, पर्यावरण निगरानी पर चल रही वैज्ञानिक परियोजनाओं में सहयोग करना; भोजन, ईंधन, रसद और अतिरिक्त पुरजों की फिर से आपूर्ति करना।
महत्वपूर्ण तथ्य: यह भारतीय अभियान दक्षिणी सफेद महाद्वीप में देश के वैज्ञानिकों के चार दशकों के प्रयास का प्रतीक है।
- चार्टर्ड आइस-क्लास पोत एमवी वासिली गोलोवनिन (chartered ice-class vessel MV Vasiliy Golovnin) 30 दिन में अंटार्कटिका पहुंचेगा, जहां यह 40 सदस्यों की एक टीम को छोड़ेगा। यह अप्रैल 2021 में, इससे पहले गई शीतकालीन टीम को वापस लाएगा।
- भारतीय अंटार्कटिक अभियान 1981 में शुरू हुआ था। पहला अभियान दल डॉ. एस जेड कासिम के नेतृत्व में गया था, जिसमें 21 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों की एक टीम शामिल थी।
- भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम ने अंटार्कटिका में तीन स्थायी अनुसंधान बेस स्टेशन बनाने का श्रेय हासिल कर लिया है, जिनका नाम ‘दक्षिण गंगोत्री’, ‘मैत्री’ और ‘भारती’ है। वर्तमान में, अंटार्कटिका में मैत्री और भारती भारत के दो चालू अनुसंधान स्टेशन हैं।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र, गोवा (The National Centre for Polar and Ocean Research- NCPOR) संपूर्ण भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का प्रबंधन करता है।
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