हिमालयी वातावरण में भूरा कार्बन ‘टारबॉल्स’
- 30 Nov 2020
4 नवंबर, 2020 को 'एसीएस एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैटर्स' (ACS Environmental Science & Technology Letters) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार हिमालय-तिब्बत के पठार में टारबॉल्स (भूरे रंग के कार्बन कण) की मौजूदगी देखी गयी है।
महत्वपूर्ण तथ्य: टारबॉल, छोटे आकार के, प्रकाश-अवशोषित करने वाले, कार्बन कण होते हैं जो बॉयोमास या जीवाश्म ईंधन के जलाने से निर्मित होते हैं, तथा जमी हुई बर्फ पर बैठ जाते हैं।
- उच्च प्रदूषण के दिनों में टारबॉल (Tarballs) की प्रतिशत-मात्रा में वृद्धि हो जाती है, और इससे ग्लेशियर्स के पिघलने की गति और वैश्विक तापन में वृद्धि हो सकती है।
- टारबॉल छोटे चिपचिपे गोले होते हैं, जिनमें कार्बन, ऑक्सीजन और सूक्ष्म मात्रा में, नाइट्रोजन सल्फर और पोटेशियम शामिल होता है। ये जीवाश्म ईंधन के जलने के दौरान उत्सर्जित होने वाले भूरे कार्बन से निर्मित होते हैं।
- टारबॉल्स की उत्पत्ति, गंगा के मैदानी भागों में बॉयोमास या जीवाश्म ईंधन के जलाए जाने से प्रकाश अवशोषित करने वाले कार्बन कणों से होती है।
- टारबॉल्स, हवा के साथ लंबी दूरी तय कर सकते हैं और जलवायु प्रभाव के बड़े कारक हो सकते हैं साथ ही हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर्स के पिघलने का कारण भी बन सकते हैं।
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