भारत की दो आर्द्रभूमि रामसर स्थल में
- 17 Nov 2020
11 नवंबर, 2020 को भारत के दो और आर्द्रभूमि क्षेत्रों ‘लोनार झील’ और ‘सुर सरोवर’ को रामसर स्थल के रूप में शामिल किया गया है। भारत में अब रामसर स्थलों की संख्या 41 (दक्षिण एशिया में सर्वाधिक) हो गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य: हाल ही में, बिहार के बेगूसराय जिले में ‘काबरताल’ को अंतरराष्ट्रीय महत्व के एक आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई, जो राज्य की ऐसी पहली आर्द्रभूमि है।
- इसके अलावा देहरादून में ‘आसन कंजर्वेशन रिजर्व’ को भी अक्टूबर 2020 में उत्तराखंड के पहले वेटलैंड के तौर पर रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया।
लोनर झील: महाराष्ट्र में बुलढ़ाना जिले की यह झील लगभग 50 हजार वर्ष पूर्व एक उल्का पिंड के टकराने से अस्तित्व में आई थी।
- झील में लवणता और क्षारीयता अधिक है। इस कठोर रासायनिक वातावरण में सायनोबैक्टीरिया और पादप प्लवक (phytoplankton) जैसे विशिष्ट सूक्ष्म जीव जीवित रह जाते हैं।
सुर सरोवर: इसे मूल रूप से गर्मियों में आगरा शहर को पानी की आपूर्ति करने के लिए बनाया गया था। इसे ‘कीथम झील’ के नाम से भी जाना जाता है।
- आर्द्रभूमि के विभिन्न पर्यावास स्थल स्थानीय और प्रवासी पक्षियों और मछलियों की 60 से अधिक प्रजातियों को आश्रय प्रदान करते हैं, जिनमें संकटापन्न प्रजातियां ग्रेटर स्पॉटेड ईगल (Clanga clanga), सारस क्रेन (Grus antigone) प्रमुख हैं।
अन्य तथ्य: आर्द्रभूमि के समुचित इस्तेमाल और इसके संरक्षण के लिए ‘रामसर कन्वेन्शन’ एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इसका नाम ईरान के शहर ‘रामसर’ के नाम पर है, जहां इस समझौते पर 2 फरवरी, 1971 को हस्ताक्षर हुए थे।
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