कृषि सुधार विधेयक
- 21 Oct 2020
- 20 सितंबर, 2020 को, राज्य सभा में तीन में से दो कृषि सुधार विधेयक पारित किये गए।उनमें से एक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020, और दूसरा कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020 है।
विधेयक के बारे में
कृषि बाजार (Agriculture Market) पर विधेयक
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
प्रमुख प्रावधान
- एक ऐसा परितंत्र निर्मित करना जहां किसानों और व्यापारियोंको राज्य की कृषि उपज मंडी समितियों (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी - APMCs) के तहत पंजीकृत मंडियों के बाहर कृषि उपज की ख़रीद फ़रोख़्त की आज़ादी हो।
- कृषक उपज के अवरोध मुक्त अंतः-राज्यीय और अंतर-राज्यीय व्यापार को बढ़ावा देना।
- मार्केटिंग व ट्रांसपोर्टेशन ख़र्च को कम करना तथा फ़सलों के बेहतर मूल्य प्राप्त करने में किसानों की मदद करना।
- इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग (व्यापार) हेतु एक सुविधाजनक ढांचा प्रदान करना।
प्रभाव
- यह विधेयक व्यापारियों के एकाधिकार को समाप्त करता है।
- ख़रीददारों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा करता है।
- किसानों को बेहतर लाभ देता है और आय में वृद्धि करता है।
- कृषि उपज, अधिशेष उत्पादन वाले क्षेत्रों से कम उत्पादन वाले क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित हो सकता है।
- यह एक राष्ट्रीय बाजार बनाता है; जिससे मंडियों में लगाने वाले ख़र्चे समाप्त हो जाएंगे।
- उपभोक्ता को बेहतर और सस्ते उत्पाद मिलेंगे।
विरोध का कारण
- इस विधेयक के तहत यदि राज्य अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी - APMC) बाजारों के बाहर बेचते हैं तो राज्य अपना राजस्व खो देंगे, क्योंकि उन्हें 'मंडी शुल्क' नहीं प्राप्त होगा।
- यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाए तो राज्यों में 'कमीशन एजेंटों' का क्या होगा?
- यह विधेयक अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price- MSP) आधारित ख़रीद प्रणाली को समाप्त कर सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग (व्यापार) जैसे, ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (E-NAM) में भौतिक 'मंडी' संरचना का उपयोगहोता है। यह इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल की कार्यक्षमता और उपयोगिता को बाधित करेगा।
अनुबंध खेती (Contract Farming) पर विधेयक
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020
प्रमुख प्रावधान
- इस विधेयकके तहत, किसान पूर्व-सहमत मूल्य पर कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए कृषि बिज़नेस फ़र्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं,बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ अनुबंध स्वीकार सकते हैं।
- यह विधेयक पांच हेक्टेयर से कम भूमि वाले सीमांत और छोटे किसानों को एकत्रीकरण (समुच्चयन) औरअनुबंध के माध्यम से सशक्त करता है (भारत में कुल किसानों का 86% सीमांत और छोटे किसान है)।
- बाजार की अप्रत्याशितता के जेखिम को किसानों से हटाकर आर्थिक संरक्षकों(Sponsors)पर स्थानांतरित करता है।
- किसानों को आधुनिक तकनीकियों का उपयोग करने और बेहतर निवेश प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
- मार्केटिंग के ख़र्च को कम करके और किसान की आय को बढ़ावा देता है।
- किसान फ़सलों की लागत का पूर्ण मूल्य प्राप्त करने के लिए बिचौलियों से जुड़ाव समाप्त करके प्रत्यक्ष मार्केटिंग से जुड़ सकते हैं।
- यह विधेयक निवारण समयसीमा के साथ प्रभावी विवाद समाधान तंत्र प्रदान करता है।
प्रभाव
- यह विधेयक, किसानों को बुवाई से पहले फ़सलों की कीमत का आश्वासन देगा।
- बाजार के जोखिम को किसानों से हटाकर आर्थिक संरक्षकों(Sponsors) पर स्थानांतरित करेगा।
- किसानों तक उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक, कीटनाशकों की पहुंच प्रदान करेगा।
- खेती में निजी निवेश को आकर्षित करेगा और खेतों को वैश्विक बाजारों से जोड़ देगा।
विरोध का कारण
- अनुबंध खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) व्यवस्था में किसान कमज़ोर कड़ी साबित होगा क्योंकि किसान उनकी क्षमता के संदर्भ में कि उन्हें क्या चाहिए, की बात करने अक्षम होंगे।
- आर्थिक संरक्ष कों(Sponsors) छोटे और सीमांत किसानों की बड़ी तादाद से सौदा करना पसंद नहीं कर सकते हैं।
- बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर्स होने के कारण,आर्थिक संरक्षकों(Sponsors) के साथ अत्यधिक विवाद होंगे।
विधेयकों पर सरकार का रुख
- कृषि विकास में तेजी: यह कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण में निजी क्षेत्र के निवेश के माध्यम से कृषि विकास को गति देगा और राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों में भारतीय कृषि उपज के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करेगा।
- सुदृढ़ीकरण अर्थव्यवस्था: विधेयकों का उद्देश्य रोजगार के अवसर पैदा करना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (E-NAM)
लाभ
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