परिशुद्धकृषि के लिए वैभव शिखर सत्र का आयोजन
- 10 Oct 2020
- 5 अक्टूबर, 2020 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) ने वौश्विक भारतीय वैज्ञानिक (Vaishwik Bhartiya Vaigyanik- VAIBHAV) शिखर सम्मेलन- 2020 के एक भाग के रूप में “परिशुद्ध खेती” के अंतर्गत "परिशुद्ध खेती के लिए सेंसर और सेंसिंग" पर एक सत्र आयोजित किया।
- इसका उद्देश्य आत्म निर्भर भारत के प्रयास को गति प्रदान करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के आधार (S&T Base) को मज़बूत करना है।
प्रमुख बिंदु
- इस पहल ने प्रवासी और भारतीय वैज्ञानिकों / शिक्षाविदों की चिंतन प्रक्रिया व पद्धतियों और अनुसंधान एवं विकास (R&D) की संस्कृति को एक साथ लाने तथा इसके ठोस परिणामों के लिए अनुवाद संबंधी अनुसंधान / शैक्षणिक संस्कृति हेतु एक योजना तैयार करने की मांग की है।
- कृषि और अनेक क्षैतिजों से सीधे तौर पर संबंधित ‘’कृषि-अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा’’ विषय पर विचार विमर्श के लिए कुल 18 आधारों की पहचान की गई है।
- ‘’परिशुद्ध खेती’’ के संबंध में क्षैतिजों का लक्ष्य सेंसर, रिमोट सेंसिंग, डीप लर्निंग कृत्रिम बौद्धिकता (Artificial Intelligence – AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) में हुए विकास को व्यवहार में लाकर दक्षता और पर्यावरणीय निरंतरता का संवर्धित उपयोग कर मृदा, पौध और पर्यावरण की निगरानी एवं प्रमात्रीकरण के ज़रिये कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर चर्चा करना है।
परिशुद्ध खेती (Precision Agriculture- PA)
- परिशुद्ध खेती को एक संपूर्ण-कृषि प्रबंधन रणनीति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है और जिसके प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य उत्पादन में सुधार और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।
- यह कृषि प्रणाली (आधुनिक कृषि प्रणाली) को भी संदर्भित करता है जिसमें खेत से लेकर उपभोक्ता तक की आपूर्ति श्रृंखला शामिल है।
भारत में परिशुद्ध खेती (Precision Agriculture- PA) की आवश्यकता
- कुल उत्पादकता में गिरावट, प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास और पतन, कृषि आय में ठहराव, पर्यावरण के क्षेत्रीय दृष्टिकोण की कमी, कृषि में व्यापार का उदारीकरण, गैर-कृषि क्षेत्र में सीमित रोजगार के अवसरऔर वैश्विक जलवायु में हो रहे परिवर्तन कृषि क्षेत्र के वृद्धि और विकास की प्रमुख चिंताएँ हैं।
- इसलिए, भविष्य में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई उभरती हुईप्रौद्योगिकी / तकनीकी अपनाने (स्वीकार्यता) को एक समाधान के रूप में देखा जाता है।
लाभ
- परिशुद्ध खेती कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है और खेती योग्य भूमि में मिट्टी के क्षरण को रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप निरंतर कृषि विकास होता है।
- फसल उत्पादन में अत्यधिक रासायनिक उपयोग को कम करने में मदद करता है।
- जल संसाधनों के कुशल उपयोग की अनुमति देता है।
- पूरे क्षेत्र में संवेदी उपकरणों (Sensing Devices) को लगाकर चुने गए मापदंडों की निरंतर निगरानी हो सकती है और यह निर्णय लेने में मदद करने के लिए वास्तविक समय डेटा (Real-Time Data) प्रदान करता है।
- यह बेहतर संसाधन प्रबंधन के अवसर प्रदान करता है और इसलिए संसाधनों का अपव्यय कम करता है।
चुनौतियां
प्रौद्योगिकी (तकनीकी) से संबंधित चुनौतियां
- परिशुद्धकृषि (सटीक खेती) में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के उपयोग में कुछ हद तक सक्षमता की आवश्यकता होती है। भारतीय किसानों के बीच निरक्षरता प्रौद्योगिकी अपनाने और परीक्षण संभावनाओं को कम करती है।
- कृषि समुदायों के बीच परिशुद्धकृषि(सटीक खेती) के बारे में जागरूकता की कमी और अभाव इसके अंगीकार (अपनाने) के लिए सबसे बड़ी बाधा है।
- स्थानीय तकनीकी विशेषज्ञता और सहायता का अभाव परिशुद्धता कृषि के लिए एक और बाधा है।
अर्थव्यवस्था संबंधी चुनौतियाँ
- भारतीय कृषि को मुख्य रूप से लघु और सीमांत भूमिहर के रूप में चित्रित किया जाता है, जो परिशुद्ध कृषिको अपनाने में प्रमुख बाधा है।
- ऐसे में परिशुद्ध कृषिमें उपयोग की जाने वाली उच्च लागत भागीदारी प्रौद्योगिकियों (high cost involvement technologies) को अपनाने की उम्मीद करना काफी कठिन और अव्यवहारिक है।
- इसके अलावा, परिशुद्ध कृषि में उच्च प्रारंभिक लागत एक प्रमुख चुनौती है जिसमें कई महंगी मशीनें और उपकरण शामिल हैं जो छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक पहुंच से परे हैं।
सामाजिक और व्यवहार संबंधी चुनौतियाँ
- भारतीय खेती पुराने कृषि पद्धतियों के अनुसार होती है।
- वही कृषि पद्धतियाँ पीढ़ियों से चली आ रही हैं। परिशुद्ध कृषि (सटीक खेती) को अपनाने में प्रतिरोध और दृढ़ता दो प्रमुख बाधाएँ हैं।
आगे का रास्ता
कृषि स्तर पर परिशुद्ध कृषि (सटीक खेती)को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत दृष्टिकोण-
- फसल विशिष्ट परिशुद्ध कृषि (सटीक खेती)को बढ़ावा देने के लिए आला क्षेत्रों की पहचान करें।
- परिशुद्ध कृषि के समग्र क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कृषि वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, निर्माताओं और अर्थशास्त्रियों को शामिल करने वाली बहु-विषयक टीमों का निर्माण हो।
- किसानों को पायलट (Pilots) या मॉडल विकसित करने के लिए पूर्ण तकनीकी बैकअप सहायता प्रदान करें।
- परिशुद्ध कृषि कार्यान्वयन के परिणामों को दिखाने के लिए किसानों के खेतों पर पायलट अध्ययन (Pilot Study) किया जाना चाहिए।
- कुशल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए नीति विकसित करना और किसानों को पूर्ण रूप से तकनीकी सहायता की सुनिश्चित करना।