ब्रेथप्रिंट

  • 05 Oct 2020

( 03 October, 2020, , www.pib.gov.in )


अक्टूबर 2020 में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता के वैज्ञानिकों ने सांस में पाये जाने वाले ‘ब्रेथप्रिंट’ (BreathPrint) नामक एक बायोमार्कर की मदद से ‘हेलिकोबैक्टर पाइलोरी’ (Helicobacter pylori) बैक्टीरिया का शीघ्र पता लगाने का एक तरीका खोज निकाला है, जो पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है।

महत्वपूर्ण तथ्य: ‘हेलिकोबैक्टर पाइलोरी’ बैक्टीरिया पेट को संक्रमित करते हुए ‘गैस्ट्राइटिस’ (gastritis) के विभिन्न रूप और अंततः गैस्ट्रिक कैंसर पैदा करता है।

  • डॉ. माणिक प्रधान एवं उनकी शोध टीम ने हेलिकोबैक्टर पाइलोरी का पता लगाने के लिए मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अर्ध-भारी जल (एचडीओ) में इस नए बायोमार्कर को देखा।
  • टीम ने मानव सांस में विभिन्न जल आण्विक प्रजातियों के अध्ययन का उपयोग किया है। इसे मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अलग-अलग जल समस्थानिकों का पता लगाने की ‘ब्रीथोमिक्स’ (Breathomics) विधि भी कहा जाता है।
  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, एक आम संक्रमण है, जो जल्दी उपचार न कराये जाने पर गंभीर हो सकता है। इसका आमतौर पर पारंपरिक एवं दर्दनाक एंडोस्कोपी तथा बायोप्सी परीक्षणों द्वारा पता लगाया जाता है।
  • यह शोध हाल ही में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस) के ‘एनालिटिकल केमिस्ट्री’ जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
  • टीम ने पहले ही विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों और एच पाइलोरी संक्रमण के निदान के लिए एक पेटेंट ‘पायरो-ब्रेथ’ (‘Pyro-Breath) उपकरण विकसित किया है।