इसरो द्वारा सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का महत्वपूर्ण परीक्षण
- 06 Mar 2025
4 मार्च, 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (SE2000) पर एक महत्वपूर्ण परीक्षण सफलतापूर्वक किया, जिससे लॉन्च व्हीकल बूस्टर चरणों के लिए क्रायोजेनिक चरण को अंतिम रूप देने में प्रगति हुई। इस परीक्षण को पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (पीएचटीए) के रूप में जाना जाता है, और यह सेमी-क्रायो इंजन विकसित करने के लिए पहला हार्डवेयर परीक्षण है।
मुख्य बिंदु
- पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (पीएचटीए): थ्रस्ट चैंबर के बिना पीएचटीए लगभग 3 मीटर लंबा है। यह गैस जनरेटर, टर्बो पंप, प्री-बर्नर और नियंत्रण घटकों जैसी महत्वपूर्ण इंजन उप-प्रणालियों के एकीकृत प्रदर्शन को मान्य करता है।
- सेमी-क्रायोजेनिक इंजन थ्रस्ट: सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का उद्देश्य 2000 किलोन्यूटन (kN) का उन्नत थ्रस्ट प्रदान करना है।
- प्रणोदक प्रणाली: इसरो पर्यावरण के अनुकूल प्रणोदकों जैसे तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स), तरल हाइड्रोजन (एलएच2) और एलओएक्स-केरोसिन आधारित प्रणालियों का उपयोग करता है।
- एलवीएम3 प्रदर्शन में सुधार: इसरो एलवीएम3 (लॉन्च व्हीकल एमके III) को सी32 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के साथ बढ़ा रहा है, जिससे पेलोड क्षमता में 25% की वृद्धि होगी।
- नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) : एनजीएलवी का विकास, जिसका उद्देश्य गगनयान मिशनों के लिए है, ट्रैक पर है, जो पुन: प्रयोज्य पहले चरण के साथ लो अर्थ ऑर्बिट में अधिकतम 30 टन की पेलोड क्षमता प्रदान करता है। पहले और दूसरे चरण एलओएक्स इंजन का उपयोग करेंगे, जिसमें एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण होगा।
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