पैतृक संपत्ति पर बेटी का समान अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
- 13 Aug 2020
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त, 2020 को ऐतिहासिक फैसले में कहा कि बेटियों को, बेटों की तरह, संयुक्त हिंदू पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने का एक समान जन्मसिद्ध अधिकार है।
महत्वपूर्ण तथ्य: जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने फैसले में कहा कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005, जिसने पैतृक संपत्ति में बेटियों को समान अधिकार दिया था, का पूर्वव्यापी प्रभाव होगा।
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 6 को प्रतिस्थापित किया गया था, जो संशोधन के पहले या बाद में पैदा हुई बेटी को बेटे के समान 'हमवारिस' (Coparcener) का दर्जा देता है। 'हमवारिस' एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास पैतृक संपत्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।
- पीठ ने अपने फैसले में कहा कि संशोधन से पहले अर्थात साल 2005 से पहले भी अगर पिता की मृत्यु हो गई है, तो भी पिता की संपत्ति पर बेटी को बेटे के बराबर का अधिकार मिलेगा।
- हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 में यह स्पष्ट नहीं किया गया था, कि क्या यह कानून पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जाएगा? तथा क्या महिलाओं का पैतृक संपत्ति संबंधी अधिकार पिता के जीवित होने पर निर्भर करता है?
- साल 2015 में प्रकाश बनाम फूलवती मामले में दो जजों की एक बेंच ने फैसला दिया था कि अगर पिता की मौत हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम के 9 सितंबर, 2005 को लागू होने से पहले हो गई है, तो बेटी को पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
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