अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण एवं अनुशासन) अधिनियम
- 11 May 2024
केंद्र सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से ‘अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण एवं अनुशासन) अधिनियम’ को अधिसूचित किया गया है। यह अधिनियम 10 मई, 2024 से लागू हुआ।
- विधेयक के रूप में इसे वर्ष 2023 के मानसून सत्र में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था तथा 15 अगस्त, 2023 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई।
- इस अधिनियम का उद्देश्य अंतर-सेवा संगठनों (ISO) के प्रभावी कमान, नियंत्रण और कुशल कामकाज को बढ़ावा देना है।
- अधिनियम में अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को उन रक्षाकर्मियों के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है, जो अभी वायु सेना अधिनियम 1950, थल सेना अधिनियम 1950 और नौसेना अधिनियम 1957 के प्रावधानों से संचालित होते हैं।
- यानी अब अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ अपने कमांड के तहत सेवारत विभिन्न सेवाओं से संबंधित सभी कर्मियों पर प्रभावी नियंत्रण रखने में सक्षम होंगे।
- अधिनियम में कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड के रूप में नियुक्ति के लिए योग्यता भी निर्धारित की गई है। निम्नलिखित अधिकारी इस पद के योग्य होंगे-
- थल सेना में ब्रिगेडियर के पद से ऊपर के एक सामान्य अधिकारी, या
- नौसेना में फ्लीट एडमिरल, एडमिरल, वाइस-एडमिरल या रियर-एडमिरल रैंक के फ्लैग ऑफिसर, या
- वायु सेना में ग्रुप कैप्टन के पद से ऊपर के अधिकारी।
- अधिनियम में प्रावधान है कि केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है, जिसमें तीनों सेवाओं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) में से कम से कम दो से संबंधित कर्मी शामिल होंगे। इन्हें ऑफिसर-इन-कमांड के अधीन रखा जाएगा।
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