जलवायु परिवर्तन के कारण 2100 तक ध्रुवीय भालू हो जाएंगे विलुप्त
- 23 Jul 2020
20 जुलाई, 2020 को नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन ध्रुवीय भालुओं को भूख से मरने के लिए विवश कर रहा है, जिसके कारण ये मांसाहारी जीव वर्ष 2100 तक गायब हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: समुद्री बर्फ का समय से पहले पिघलने से बर्फ लगातार कम हो रही है जिससे भालू सीलों का शिकार नहीं कर पा रहे हैं।
- अध्ययन के अनुसार13 में से 12 ध्रुवीय भालू 80 वर्षों के भीतर आर्कटिक में तेजी से हो रहे परिवर्तन के कारण कम हो गए। आर्कटिक का तापमान दोगुनी गति से बढ़ रहा है।
- 2100 तक, कनाडा के आर्कटिक द्वीपसमूह में क्वीन एलिजाबेथ द्वीप की आबादी को छोड़कर, अन्य जगहों पर ध्रुवीय भालू का जन्म लेना लगभग असंभव हो जाएगा।
- शोधकर्ताओं के अनुसार आईयूसीएन की रेड लिस्ट में ध्रुवीय भालू को ‘अतिसंवेदनशील’ श्रेणी में जगह दिया जाना सही नहीं है, जबकि ये विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं।
- आईयूसीएन द्वारा स्थापित श्रेणियां मुख्य रूप से ‘अवैध शिकार’ और ‘आवास अतिक्रमण’ जैसे खतरों पर आधारित हैं, जिन्हें स्थानीय आधार पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
- ऐसे में यदि पेरिस समझौते के लक्ष्यों से लगभग आधा डिग्री ऊपर 2.4 डिग्री सेंटी ग्रेड पर वैश्विक तापमान को नियंत्रित किया जाए, तो यह ध्रुवीय भालूओं को विलुप्त होने से बचा सकता है।
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