क्यूआर कोड के विश्लेषण के लिए समिति की रिपोर्ट
- 23 Jul 2020
आईआईटी बॉम्बे के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डी. बी. पाठक की अध्यक्षता में गठित 'क्यूआर कोड के विश्लेषण के लिए समिति की रिपोर्ट' भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 22 जुलाई, 2020 को जारी की गई।
महत्वपूर्ण अनुशंसाएं: कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, सरकार को उपभोक्ताओं के लिए क्यूआर (त्वरित प्रतिक्रिया) कोड लेनदेन के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहन योजना (Incentives Scheme) प्रदान करनी चाहिए।
- जो व्यापारी इलेक्ट्रानिक तरीके से भुगतान स्वीकार करते हैं उन्हें ‘कर प्रोत्साहन’ दिया जाना चाहिये।
- प्रोप्राइटरी क्यूआर कोड एक खुली, परस्पर भुगतान परिप्रणाली में एक बाधा है, इसलिए खुले तथा अंतःप्रचालनीय मानक (Interoperable standards) के पक्ष में प्रोप्राइटरी क्यूआर कोड को चरणबद्ध तरीके से हटाने की स्पष्ट योजना होनी चाहिए।
- समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि नियामक व्यापारिक गतिविधियों के लिए मौजूदा बैंक खाते को वैध केवाईसी के रूप में स्वीकार कर सकता है। सभी उद्देश्यों के लिए, व्यापारी अधिग्रहण बैंक (वित्तीय संस्थान जो व्यापारी के बैंक खाते का रखरखाव करता है) व्यापारी के केवाईसी के लिए जिम्मेदार होगा।
- आरबीआई ने 10 अगस्त, 2020 तक सभी हितधारकों तथा जनता से रिपोर्ट पर टिप्पणी / सुझाव आमंत्रित किए हैं।
क्यूआर कोड: यह एक दो आयामी मशीन द्वारा पठनीय बारकोड हैं, जिनका उपयोग 'पॉइंट ऑफ सेल' पर मोबाइल भुगतान की सुविधा के लिए किया जाता है।
- भारत में क्यूआर कोड भुगतान प्रणाली व्यापक तौर पर तीन तरह भारत क्यूआर, यूपीआई क्यूआर और 'प्रोप्राइटरी क्यूआर' (Proprietary QR) के जरिये काम करती है।
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