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स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी
- 08 Feb 2022
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने5 फरवरी, 2022 को हैदराबाद के निकट मुचिनताल में तमिल वैष्णव संत रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' (Statue of Equality) को राष्ट्र को समर्पित किया।
(Image Source: https:// twitter.com/equalitystatue)
महत्वपूर्ण तथ्य: यह प्रतिमा 'पंचलोहा' से बनी है, जो पांच धातुओं- सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और दुनिया में बैठने की अवस्था में सबसे ऊंची धातु की मूर्तियों में से एक है। यह 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम 'भद्र वेदी' है।
- इस परिसर में रामानुजाचार्य के कार्यों से संबंधित एक वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर और एक शैक्षिक दीर्घा है।
रामानुजाचार्य कौन थे? 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक प्रतिष्ठित वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक हैं। उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय की वकालत करते हुए पूरे भारत की यात्रा की।
- रामानुजाचार्य ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया, और उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है।
- उन्होंने नवरत्नों के नाम से जाने जाने वाले नौ शास्त्रों का लेखन किया और वैदिक शास्त्रों पर कई टिप्पणियों की रचना की।
- उन्होंने आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया।
- उन्होंने मंदिरों को समाज में सभी जाति के लोगों के लिए प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया।
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