Question : उत्तम शासन की चुनौतियों से निपटने में कैग (CAG) की भूमिका की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः
कैग हेतु चुनौतियां
हाल ही के कैग खुलासों जैसेः- टू जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाला, रिलायंस-सी-जी-डी--6 आवंटन, कॉमनवेल्थ घोटालों आदि से यह बात सामने आई है कि कैग हाल ही के दिनों में अत्यधिक सक्रिय रहा है।
‘केग’ द्वारा हाल के समय में कुछ तथ्य उद्घटित किए गए हैं-
Question : कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय कंपनी न्याय ट्रिब्यूनल (NCLT) की भूमिका की चर्चा करें। क्या यह कंपनी लॉ बोर्ड का स्थान लेने हेतु उपयुक्त है?
Answer : उत्तरः राष्ट्रीय कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (2013) निम्न मामलों में शक्तियों का प्रयोग करेगाः
Question : संसदीय समितियां न सिर्फ कानून निर्माण में अपितु सदन के दैनिक कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संसदीय समितियों के कर्तव्यों की भारत में बजट-निर्माण प्रक्रिया के संदर्भ में व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः वर्तमान में संसद के बढ़ते कार्यभार तथा जटिल प्रकृति के कारण संसद सभी मामलों पर विशेष ध्यान नहीं दे पाती अतः संसदीय समितियों का गठन किया जाता है।
संसदीय समितियां दो प्रकार की होती है-
(1) तदर्थ (2) स्थायी
Question : एक विशेष नीति पर निर्णय लेने के लिए एक विशेष मंत्री और मंत्रियों के समूह के बीच के जनादेश में सहमति न होना एक अच्छा प्रशासन प्रोटोकॉल नहीं है। व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः जीओएम की शुरुआत गठबंधन सरकारों के दौर से हुई। चूंकि जीओएम के महत्त्व और उसकी शुरुआत को लेकर तमाम भ्रम मौजूद हैं, इसलिए यह कहना सही होगा कि उनकी स्थापना बहुत राजनीतिक वजहों से की गई थी।
Question : नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के हाल के कार्यों ने यह दिखाया है कि संस्थाओं के कार्यकरण में सुधार हेतु सदैव विधिक या सांवैधानिक परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है। चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारतीय संविधान के भाग (5) अनुच्छेद-148 में नियत्रक एवं महालेखा परीक्षक के स्वतंत्र पद की व्यवस्था की गई है जिसे संक्षेप में कैग कहा जाता है। यह लोकवित्त के संरक्षण का कार्य करता है। इसका नियंत्रण केन्द्र, राज्य तथा उन प्राधिकरणों तक भी होता है जिसमें सरकार का पैसा निवेशित होता है, जैसे- पीएसयू आदि।
Question : सरकार तथा बाजार गहरे रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं। सरकार वह विधिक तथा संस्थागत ढांचा निर्धारित करती है जिसके अंतर्गत बाजार कार्य करता है। इस परिप्रेक्ष्य में प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा निभाई गई भूमिका का परीक्षण कीजिए।
Answer : उत्तरः कुशल बाजार आधारित अर्थव्यवस्था के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा उसके महत्वपूर्ण स्तम्भों में से एक है इसलिए प्रतिस्पर्धा वैश्विक अर्थव्यवस्था की एक संचालन शक्ति बन गई है।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India)
प्रतिस्पर्धा आयोग की नई पहल
Question : “सहायकन सिद्धांत (The Principle of Subsidiarity) का किसी कार्यक्रम के क्रियान्वयन कार्यप्रणाली के निर्धारण के दौरान पालन किया जाना चाहिए’’। व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः प्रोग्राम का क्रियान्वयन अनेक खण्डों में होता है जैसेः- योजना, क्रियान्वयन, निरीक्षण आदि।
Question : भारतीय सिविल सेवा और प्रशासन के केंद्र बिंदु में गतिशील मूल्यों का एक सुदृढ़ स्तंभ होना चाहिए ताकि प्रत्येक स्तर पर इसके चरित्र को बदला जा सके। चर्चा करें।
Answer : उत्तरः किसी भी लोकतांत्रिक देश में सार्वजनिक पदाधिकारियों हेतु आचार संहिता का होना अत्यंत आवश्यक होता है चाहे वह लोक सेवक हो या मंत्री। हाल ही में भारतीय परिप्रेक्ष्य में लोकसेवा में निरंतर भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद, लालफीताशाही के कारण कार्यों में देरी, राजनीतिक झुकाव, अवैधानिक क्रियाकलाप, कदाचार, आदि की वृद्धि हुई। इसका प्रमाण हम टू जी स्पेक्ट्रम एवं कॉमनवेल्थ जैसे घोटालों में देख सकते हैं, जहां पर हुए भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण राजनेताओं, लोकसेवकों तथा व्यापारियों के मध्य सांठ-गांठ का होना बताया गया।
(iv) उत्तरदायित्व (v) सादगी (vi) ईमानदारी
(vii) नेतृत्व
(i) सत्यनिष्ठा (ii) कर्त्तव्य के प्रति समर्पण
(iii) राजनैतिक निष्पक्षता (iv) विनम्र आचरण
(v) अपने पद का दुरुपयोग ना करे (vi) कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति
(vii) जनता के प्रति जवाबदेही
(viii) सार्वजनिक संसाधनों का दक्षता पूर्वक लोक कल्याण में उपयोग
Question : वैश्वीकरण के उपरांत भारत में सिविल सेवाओं के समक्ष कौन-कौन सी चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सिविल सेवकों को किस तरह की दक्षता एवं कुशलता की जरूरत है?
Answer : उत्तरः वैश्वीकरण देशों एवं लोगों के बीच मुद्रा, वस्तुओं एवं विचारों के अंतर्राष्ट्रीय प्रवाहों में हो रही वृद्धि की एक अंतर्क्रिया है।
Question : सहकारिता सामाजिक पूंजी के निर्माण में योगदान करता है। व्याख्या करें तथा चर्चा करें कि किस प्रकार भारतीय संविधान ने सहकारिता के क्षेत्र में नये आंदोलन का निर्माण किया है?
Answer : उत्तरः 97वें संवैधानिक संशोधन (2011) का उद्देश्य लोगों के सहकारिता में विश्वास वृद्धि तथा इसे राजनैतिक तथा नौकरशाही हस्तक्षेप से बचाना है। इस संवैधानिक संशोधन द्वारा निम्न बदलाव किए गए-
सामाजिक पूंजी में योगदान
इसकी मुख्य विशेषता
Question : गैर सरकारी संगठनों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सामाजिक उत्थान और कल्याण था, किंतु इसके स्थान पर वे विभिन्न कदाचारों में संलग्न हो गए हैं। सरकार द्वारा विभिन्न गैर सरकारी संगठनों पर हाल में लगाए गए प्रतिबंधों के संदर्भ में कथन का परीक्षण कीजिए।
Answer : उत्तरः ‘गैर सरकारी संगठन’ स्वैच्छिक संगठन होते हैं। अपने कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सरकारी नियन्त्रण से मुक्त होने के कारण इन्हें लोकप्रिय रूप से गैर सरकारी संगठन के नाम से जाना जाता है। ये लोकतांत्रिक होते हैं और समाज-सेवा के लिए प्रतिबद्ध कोई भी व्यक्ति स्वैच्छिक रूप से इनकी सदस्यता ग्रहण कर सकता है। इसलिए, सिविल समाज में इन्होंने महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया है।
Question : वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के आयामों की खोज वास्तविक तथा तीव्र न्याय हेतु की जानी चाहिए। इस परिप्रेक्ष्य में ऐसे संस्थानों के कार्यकरण से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली अत्यंत प्राचीन है। प्राचीन भारत में भी पंचायत जैसी प्रणालियां रही हैं। ये प्रणालियां नियमित न्यायिक तंत्र से तीव्र तथा सस्ती होती हैं। कोड ऑफ सिविल प्रोसिडर की धारा 89 में वैकल्पिक विवाद समाधान को निम्न भागों में मोटे रूप से वगीकृत किया गया है-
Question : भारत में गैर-सरकारी संगठन केंद्र एवं राज्य सरकारों के अंतर्गत विभिन्न कानूनों से विनियमित किए जा रहे हैं जो इनकी पारदर्शिता एवं जवाबदेहिता सुनिश्चित करने को कठिन बना देते हैं। इस कथन के संदर्भ में भारत में गैर-सरकारी संगठनों को विनियमित करने के लिए एक समग्र कानून की आवश्यकता की समीक्षा कीजिए।
Answer : उत्तरः नागरिकों के कल्याणार्थ गैर-लाभकारी स्वैच्छिक समूह जो स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गठित किया जाता है, गैर-सरकारी संगठन (NGO) हैं- ये सामान्य हितों के लिए लोगों द्वारा संचालित होते हैं और इनके द्वारा विभिन्न प्रकार के मानवीय कार्य एवं सेवाएं प्रदान की जाती है।
भारत में गैर-सरकारी संगठन का विनियमन
एनजीओ की जवाबदेहिता एवं पारदर्शिता में कमी