भारत की सांस्कृतिक विरासत में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का योगदान
इंडो-इस्लामिक वास्तुकला भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह शैली 12वीं शताब्दी से विकसित हुई, जब मुस्लिम शासन भारत में स्थापित हुआ था।
- यह भारतीय और इस्लामी स्थापत्य शैलियों का एक अनूठा मिश्रण है, जो विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के समन्वय को दर्शाता है।
इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का योगदान
- मेहराब और गुंबद का निर्माण: परंपरागत रूप से भारतीय भवनों के निर्माण में सपाट छतों का उपयोग किया जाता था। इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के विकास के साथ ही भारतीय स्तंभों और बीम के साथ-साथ इस्लामिक मेहराबों और गुंबदों का ....
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