पर्यावरणीय नैतिकता में जैवकेन्द्रवाद
जैवकेन्द्रवाद (Biocentrism) पर्यावरण नैतिकता के भीतर एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जिसके अनुसार सभी जीवित जीवों का आंतरिक मूल्य होता है तथा उन्हें मानव उद्देश्यों के साधन के बजाय अपने आप में लक्ष्य माना जाता है। यह नैतिक ढांचा मानव-केंद्रितता के विपरीत है, जो अन्य सभी प्रजातियों से ऊपर मानव हितों को प्राथमिकता देता है।
जैवकेन्द्रवाद के सिद्धांत
- जीवन का आंतरिक मूल्य
- बायोसेन्ट्रिज्म इस बात पर जोर देता है कि सभी जीवित प्राणियों में अंतर्निहित मूल्य होता है और वे मनुष्यों के लिए उनकी उपयोगिता से स्वतंत्र नैतिक विचार के पात्र होते हैं।
- यह प्रकृति के उस साधनात्मक दृष्टिकोण का विरोध ....
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मुख्य विशेष
- 1 प्लेटो की शिक्षाएं और सार्वजनिक निर्णय लेने में इसका महत्व
- 2 प्रशासनिक प्रभावशीलता और सार्वजनिक विश्वास पर शासन में ईमानदारी का प्रभाव
- 3 निर्णय निर्माण में AI की भूमिका: प्रशासन पर प्रभाव
- 4 सोशल मीडिया से संबंधित नैतिक मुद्दे और चुनौतियां
- 5 नैतिक मूल्य और नैतिक नेतृत्व
- 6 नैतिक सापेक्षवाद बनाम नैतिक सार्वभौमिकता
- 7 सेलिब्रिटी विज्ञापन के नैतिक आयाम
- 8 जैव नैतिकता और इसका महत्व
- 9 सिविल सेवाओं के आधारभूत मूल्य: उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के उपाय
- 10 आधुनिक समाज में स्वामी विवेकानंद के नैतिक दर्शन की प्रासंगिकता
- 11 सार्वजनिक सेवा में नैतिक सत्यनिष्ठा का निर्माण : निष्पक्षता और गैर-पक्षपात की भूमिका