अन्तः दलीय लोकतंत्र : चुनौतियां एवं महत्व
अन्तः दलीय लोकतंत्र (Internal Party democracy) से तात्पर्य पार्टी के भीतर निर्णय लेने (decision making) और विचार-विमर्श (deliberation) की प्रक्रिया में पार्टी के सदस्यों को शामिल करने के स्तर और तरीकों (level andmethods) से है।
- राजनीतिक दल, नागरिकों का एक संगठित समूह होता है जो एक राजनीतिक इकाई के रूप में कार्य करता हैं| इसके साथ ही एजेंडा और नीति को आगे बढ़ाने की दृष्टि से सरकार का नियंत्रण प्राप्त करना चाहते है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(c) समितियों के बनाने का प्रावधान करता है परन्तु इसके तहत राजनीतिक दल का गठन करने का मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं होता है।
- वर्तमान भारतीय ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 लोक सेवा में मूल्यों का संकट
- 2 भारत में लोक सेवा मूल्यों की स्थिति
- 3 लोक सेवा में मूल्यों का विकास
- 4 लोक सेवा मूल्यों के समक्ष चुनौतियां
- 5 मूल्यों का संघर्ष
- 6 लोक सेवा के लिए महत्वपूर्ण मूल्य
- 7 लोक सेवा में मूल्य सुशासन का आधार
- 8 ग्रामीण विकास में पंचायतीराज संस्थानों की भूमिका को बढ़ाने वाली पहलें
- 9 स्थानीय स्वशासन से संबंधित मुद्दे
- 10 स्वास्थ्य प्रबंधन में भूमिकाः कोविड-19 प्रबंधन एवं टीकाकरण