अरावली पर्वतमाला को खतरा
1975 के बाद अरावली पर्वतमाला के भूमि उपयोग की गतिशीलता पर किये गए एक हालिया वैज्ञानिक अध्ययन में यह पाया गया है कि अवैध खनन, वनों की कटाई और मानवीय अतिक्रमण के कारण इस क्षेत्र के पर्यावरण का क्षरण हुआ है और साथ ही इस क्षेत्र में भूजल भंडार में कमी आई है। यह अध्ययन हाल ही में ‘अर्थ साइंस इंफॉर्मेटिक्स’ नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया।
- 1975 से 2019 के बीच, अरावली पहाड़ियों का लगभग 8% (5,772.7 वर्ग किमी.) हिस्सा गायब हो गया है, जिसमें 5% (3,676 वर्ग किमी.) बंजर भूमि में बदल गया है और 1% (776.8 वर्ग किमी.) ....
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