किशोरों के प्रारंभिक मूल्यांकन हेतु 3 माह की समय सीमा अनिवार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
7 मई, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि 'कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे पर वयस्क या किशोर के रूप में मुकदमा चलाया जाए या नहीं' इसके आकलन हेतु प्रारंभिक मूल्यांकन के लिए दी गई 3 माह की अवधि अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसे केवल निर्देश के रूप में माना जाना चाहिए।
- कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे का प्रारंभिक मूल्यांकन पूरा करने के लिए तीन महीने की अवधि का प्रावधान 'किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015' की धारा 14(3) के तहत किया गया है, जो इसी अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत ....
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