POSH अधिनियम के प्रभावी अनुपालन के लिए निर्देश: सुप्रीम कोर्ट
3 दिसंबर, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013’ (POSH Act) का देशव्यापी अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी सरकारी विभागों और उपक्रमों में एक आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का निर्देश दिया।
- न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि POSH अधिनियम को पूरे देश में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह निर्देश POSH अधिनियम की लागू होने की प्रक्रिया पर एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई करते ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 राष्ट्रीय जांच एजेंसी की शक्तियों में विस्तार
- 2 सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक 'व्यापक एंटी-ड्रोन यूनिट'
- 3 प्रधानमंत्री द्वारा समान नागरिक संहिता की वकालत
- 4 एक राष्ट्र एक चुनाव से संबंधित विधेयकों की समीक्षा हेतु जेपीसी
- 5 शिकायतों के निराकरण में CPGRAMS की सफलता
- 6 पवित्र उपवनों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
- 7 सार्वजनिक संस्थाओं में अस्थायी रोजगार अनुबंधों का दुरुपयोग चिंताजनक
- 8 भारत में 'एडाप्टिव डिफेंस' की आवश्यकता
- 9 दिव्यांगजनों के लिए सुगम्यता एक मौलिक अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
- 10 यौन उत्पीड़न का मामला समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता
- 1 सार्वजनिक संस्थाओं में अस्थायी रोजगार अनुबंधों का दुरुपयोग चिंताजनक
- 2 पवित्र उपवनों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
- 3 शिकायतों के निराकरण में CPGRAMS की सफलता
- 4 एक राष्ट्र एक चुनाव से संबंधित विधेयकों की समीक्षा हेतु जेपीसी
- 5 प्रधानमंत्री द्वारा समान नागरिक संहिता की वकालत
- 6 सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक 'व्यापक एंटी-ड्रोन यूनिट'
- 7 राष्ट्रीय जांच एजेंसी की शक्तियों में विस्तार