मरुस्थलीकरण रोकथाम: प्रमुख पहल

मरुस्थलीकरण भूमि क्षरण का एक रूप है, जिसके द्वारा उपजाऊ भूमि रेगिस्तान बन जाती है। इससे रेगिस्तान से निकटवर्ती क्षेत्रों तक रेत का विकास होता है। रेत उपजाऊ मृदा को ढक लेती है और उसकी उर्वरता को प्रभावित करती है।

बढ़ती निम्नीकृत भूमि

  • मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण एटलस 2021 के अनुसार, भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का कम से कम 30% ‘निम्नीकृत भूमि’ की श्रेणी में है।
  • झारखंड, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात और गोवा में 50% से अधिक भूमि क्षेत्र मरुस्थलीकरण या क्षरण से गुजर रहा है।
  • केरल, असम, मिजोरम, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और अरुणाचल प्रदेश 10% से कम भूमि क्षरण ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

प्रारंभिक विशेष