भारत में सहकारिता का महत्व

भारत में सहकारिता ऐसी अवधारणा है, जो स्व-सहायता, पारस्परिक सहायता और लोकतांत्रिक नियंत्रण के सिद्धांतों पर काम करती है। सहकारी संगठन संबंधित राज्यों के सहकारी सोसायटी अधिनियम द्वारा शासित होते हैं और सहकारी समिति अधिनियम, 1912 या नए सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत होते हैं।

सहकारिता का महत्व

  • ग्रामीण विकासः सहकारी समितियों की ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति है। कृषि सहकारी समितियां, जैसे कि सहकारी दुग्ध समितियां (जैसे अमूल) तथा सहकारी ऋण समितियां, किसानों को आगत, प्रौद्योगिकी, विपणन चैनल और ऋण सुविधाएं प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाती हैं।
  • वित्तीय समावेशनः सहकारी ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री