द्रविड़ आंदोलन
द्रविड़ आंदोलन की अवधारणा का मूल तमिलनाडु में चले ब्राह्मणवाद विरोधी आंदोलन में देखा जा सकता है, जहां वंचित वर्गों द्वारा सामाजिक समता और वृहत शक्ति एवं नियंत्रण की आरंभिक मांगें की गई थीं। समय के साथ, इससे एक अलगाववादी आंदोलन भी निकल कर सामने आया, जिसमें तमिल लोगों के लिये एक अलग संप्रभु राज्य की मांग की गई।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
- जस्टिस पार्टीः औपचारिक रूप से द्रविड़ आंदोलन का आरंभ वर्ष 1916 में मद्रास में ‘जस्टिस पार्टी’ की स्थापना से माना जाता है। ‘जस्टिस पार्टी’ अथवा ‘दक्षिण भारतीय लिबरल फेडरेशन’ के नाम से जानी जाने वाली इस पार्टी के ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता
- 2 असहयोग आंदोलन
- 3 रूसी क्रांति: कारण तथा वैश्विक प्रभाव
- 4 औद्योगिक क्रांति का उपनिवेशवाद के प्रसार में योगदान
- 5 11वीं सदी के समाज सुधारक और संत: रामानुजाचार्य
- 6 गाँधी एवं नेहरू के सामाजिक-आर्थिक विचार: समानता एवं विभेद
- 7 ब्रिटिश शासन की नीतियां तथा आधुनिक भारत का निर्माण
- 8 दादा भाई नोरोजी की भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भूमिका
- 9 स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका
- 10 वेलेजली की नीतियां एवं उनका प्रभाव