‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ सिद्धांत
22 जनवरी, 2025 को, दो अलग-अलग हत्या के मामलों में अलग-अलग फैसले आए, जहां एक मामले में मृत्युदंड की सज़ा सुनाई गई, वहीं दूसरे मामले में अभियुक्त को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई, जिससे न्यायपालिका के 'दुर्लभ से दुर्लभतम' सिद्धांत (Rarest of Rare doctrine) के प्रति दृष्टिकोण पर पुनः सवाल खड़े हुए हैं।
'दुर्लभ से दुर्लभतम’ या ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ सिद्धांत क्या है?
- शीर्ष अदालत ने बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य (1980) नामक वाद में "दुर्लभ से दुर्लभतम" मामलों का गठन करने वाले सिद्धांतों को निर्धारित किया था।
- बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य वाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 सरकार का कर्मचारियों हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर निर्देश
- 2 भारत के राज्य प्रतीक के दुरुपयोग को रोकने का निर्देश
- 3 राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल का विस्तार
- 4 मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू
- 5 तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति
- 6 परिहार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
- 7 निष्पक्ष सुनाई का अधिकार
- 8 फ्रीबीज़ पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की
- 9 अभियुक्त को गिरफ्तारी का कारण बताना संवैधानिक अनिवार्यता
- 10 2025 'सुधारों का वर्ष' घोषित: रक्षा मंत्रालय

- 1 अभियुक्त को गिरफ्तारी का कारण बताना संवैधानिक अनिवार्यता
- 2 फ्रीबीज़ पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की
- 3 निष्पक्ष सुनाई का अधिकार
- 4 परिहार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
- 5 तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति
- 6 मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू
- 7 राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल का विस्तार
- 8 भारत के राज्य प्रतीक के दुरुपयोग को रोकने का निर्देश
- 9 सरकार का कर्मचारियों हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर निर्देश