इको सेंसिटिव जोन पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक संरक्षित वन, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीवअभयारण्य में उनकी सीमांकित सीमाओं से न्यूनतम 1 किमी. का क्षेत्र अनिवार्य इको सेंसिटिव जोन (Eco-sensitive zone) होना चाहिये।
इको सेंसिटिव जोन के बारे में: इको सेंसिटिव जोन ऐसे क्षेत्र होते हैं, जिन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीवअभयारण्यों में अधिसूचित किया गया है।
- EZS घोषित करने का उद्देश्य संरक्षित क्षेत्रों के आसपास की गतिविधियों को विनियमित और प्रबंधित करना है।
- ये क्षेत्र उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों से कम सुरक्षा वाले क्षेत्रों में संक्रमण क्षेत्र के रूप में भी कार्य करते हैं।
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 में इको-सेंसिटिव जोन शब्द का उल्लेख नहीं है।
- इसमें वाणिज्यिक खनन, आरा मिलें, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग, प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना आदि गतिविधियाँ निषिद्ध होती है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
- 1 वन लाइनर सामयिकी
- 2 विश्व की पहली फि़शिंग कैट जनगणना
- 3 नवीकरणीय ऊर्जा हेतु संयुक्त राष्ट्र की पांच सूत्री योजना
- 4 चमगादड़ की एक नई प्रजाति
- 5 2020 के बाद के लिए वैश्विक जैव विविधता ढांचा
- 6 पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य
- 7 औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन समिट 2022
- 8 खुव्सगुल झील
- 9 सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध
- 10 नर बाघ ‘कुंभा’ का निधन
- 11 मनी स्पाइडर की खोज
- 12 ‘यूबलफ़ेरिस पिक्टस’ प्रजाति की खोज
- 13 स्टॉकहोम+50 सम्मेलन-2022
- 14 हाथी बचाव केंद्र
- 15 स्वच्छ और हरित अभियान
- 16 लीडर्स इन क्लाइमेट चेंज मैनेजमेंट प्रोग्राम