संधिा व समझौता

पुनाखा की संधि (1910): भूटान 1910 से ब्रिटिश-भारत के अधीन एक संरक्षित राज्य था, जिसमें अंग्रेज विदेशी मामलों और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन करते थे।

1949 की मैत्री संधिः भारत की स्वतंत्रता के बाद, ‘1949 की शांति और मित्रता की भारत-भूटान संधि’ के आधार पर संरक्षित राज्य का दर्जा भी बढ़ाया गया था। इसे वर्ष 2007 में संशोधित किया गया था। इस संधि के अनुसार भूटान के विदेश मामलों में घनिष्ठ मित्र और समान भागीदार के रूप में भारत की भूमिका को संशोधित किया गया।

भारत-भूटान व्यापार और पारगमन समझौताः 1972 का यह समझौता भूटानी निर्यात का शुल्क मुक्त पारगमन प्रदान करता है। इसे अंतिम बार नवंबर 2016 में नवीनीकृत किया गया था तथा जुलाई 2017 में प्रभावी हुआ था। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित की। समझौते में तीसरे देशों को भूटानी निर्यात के ड्यूटी फ्री ट्रांजिट का भी प्रावधान है।

जलविद्युत में सहयोग की संधि और 2006 का प्रोटोकॉलः भारत 2020 तक कम से कम 10,000 मेगावाट की पनबिजली विकसित करने में मदद के लिए तैयार है।

भारत-भूटान ऊर्जा समझौताः भूटान में जलविद्युत परियोजनाएं दोनों देशों के बीच सहयोग के प्रमुख उदाहरण हैं। अब तक भारत सरकार ने भूटान में कुल 1,416 मेगावाट की तीन पनबिजली परियोजनाओं (HEPs) के निर्माण में सहयोग किया है। ये परियोजनाएं चालू अवस्था में हैं और भारत को विद्युत निर्यात कर रही हैं।

  • जलविद्युत निर्यात भूटान के घरेलू राजस्व का 40% और उसके सकल घरेलू उत्पाद का 25% से अधिक राजस्व प्रदान करता है।
  • भारत और भूटान के बीच जलविद्युत क्षेत्र में सहयोग, 2006 में हुए हाइड्रोपावर क्षेत्र में सहयोग समझौता तथा प्रोटोकॉल (Agreement on Cooperation in Hydropower and Protocol) पर आधारित है, जिस पर मार्च 2009 में हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस प्रोटोकॉल के तहत भारत सरकार, भूटान सरकार को 2020 तक कम-से-कम 10,000 मेगावाट हाइड्रोपावर के विकास में सहयोग देने तथा भूटान, भारत को अतिरिक्त विद्युत का आयात करने पर सहमत हुए हैं।
  • चीन ने डोकलाम पठार के बड़े हिस्से पर भी अपना दावा किया है। डोकलाम गतिरोध 2017 में भारत और भूटान के बीच हुआ था।
  • 2-3 जून, 2020 को चीन ने विवादित क्षेत्र के रूप में भूटान की पूर्वी सीमा का दावा किया और उन्होंने यूएनडीपी के नेतृत्व वाली वैश्विक पर्यावरण सुविधा से सकटेंग वन के वित्तपोषण पर आपत्ति जताई। इसका उद्देश्य भारत और भूटान के बीच अच्छे संबंधों को बिगाड़ना है।
  • भारत और भूटान के संबंधों पर सबसे बड़ा सवालिया निशान है कि चीन से कैसे निपटा जाए। चीन ने भूटान के लिए पैकेज सॉल्यूशन (लैंड स्वैप) का प्रस्ताव रखा है, जिससे भारत की चिंता भी बढ़ गई है।

ग्राउंड अर्थ स्टेशन एवं सैटकॉम नेटवर्क समझौताः भारत तथा भूटान ने थिम्फू में संयुक्त रूप से ‘ग्राउंड अर्थ स्टेशन एवं सैटकॉम नेटवर्क’ (Ground Earth Station and SAT OM network) का शुभारंभ किया। ग्राउंड अर्थ स्टेशन के माध्यम से भूटान, भारत के दक्षिण एशिया उपग्रह का उपयोग कर सकेगा।

इसरो द्वारा ‘ग्राउंड अर्थ स्टेशन’ का निर्माण 7 करोड़ रुपये की लागत से थिम्फू में किया गया है। साउथ एशिया सैटेलाइट का प्रक्षेपण वर्ष 2017 में किया गया था।

भारत-भूटान जल-विद्युत परियोजनाः 600 मेगावाट की खोलोंगछु परियोजना का निर्माण भूटान के अल्प विकसित पूर्वी क्षेत्र त्रशियांगत्से में किया जाएगा, जिसे वर्ष 2025 में पूर्ण होने की संभावना है। खोलोंगछु परियोजना वस्तुतः जॉइंट वेंचर मॉडल के तहत 2,120 मेगावाट क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए वर्ष 2014 में सहमत चार अतिरिक्त परियोजनाओं में से एक है। अन्य तीन जॉइंट वेंचर हैं: बुनाखा (180 मेगावाट), वांगचू (570 मेगावाट) और चमखरछु (770 मेगावाट)।