क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी

रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनोमिक पार्टनरशिप (RCEP) 15 नवंबर, 2020 को वियतनाम की अध्यक्षता में सम्पन्न शिखर बैठक के दौरान 15 एशिया पैसेफिक देशों के बीच किया गया एक मुक्त व्यापार समझौता है। इसका औपचारिक रूप से 2012 में आरंभ किया गया था। आसियान के 10 सदस्य देशों व 5 अन्य देशों वाले समूह के मध्य संपन्न समझौता 1 जनवरी, 2022 से लागू हो गया है।

  • इस व्यापार समझौते में आसियान के दस राष्ट्रों (ब्रुनेई, वियतनाम, थाइलैंड, सिंगापुर, फिलीपींस, म्यांमार, मलेशिया, लाओस, इंडोनेशिया, कम्बोडिया) के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया सम्मिलित हैं।

भारत का पक्षः 2017 में भारत 16 देशों के साथ इसमें हस्ताक्षरकर्ता था, परन्तु नवंबर 2019 में आसियान+3 शिखर सम्मेलन के दौरान आरसीईपी से बाहर हो गया था, जिसका मुख्य कारण मुक्त व्यापार समझौते के बाद आसियान, कोरिया एवं जापान के साथ भारत का व्यापार घाटा होना था। 14 नवंबर, 2020 में वियतनाम में हुए समझौते से भारत बाहर रहा।

भारत के बाहर रहने का कारणः भारत सरकार द्वारा लम्बे समय से किसान, व्यापारी संगठन तथा देश के समस्त छोटे-बड़े किसान व्यापारी संगठनों द्वारा किए जा रहे विरोध तथा इस समझौते से उत्पन्न कई आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए भारत अभी इसमें शामिल नहीं हुआ। उक्त 15 में से 11 देशों के साथ भारत का व्यापार घटा है।

लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट पॉलिसी

लुक ईस्ट पालिसीः 1990 के दशक में भारत ने अपनी विदेश नीति ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ (पूर्व की ओर देखो नीति) शुरू किया, जिसके तहत भारत ने आसियान देशों के महत्व की एक नये सिरे से पहचान की और तत्पश्चात् पी.वी. नरसिम्हा राव की केन्द्रीय सरकार ने ‘आसियान देशों’ के साथ आर्थिक सम्बन्धों को और मजबूत बनाने हेतु ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ (पूर्व की ओर देखो नीति) की शुरूआत की। इस नीति का मुख्य लक्ष्य भारत के व्यापार की दिशा पश्चिमी और भारत के पड़ोसी देशों से हटाकर उभरते हुए दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों की ओर करना था। पूर्व की ओर देखो नीति का ध्यान दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ केवल आर्थिक एकीकरण में वृद्धि करना था और क्षेत्र केवल दक्षिण पूर्व एशिया तक ही सीमित था। दूसरी ओर ‘पूरब की ओर काम करो नीति’ का ध्यान आर्थिक एकीकरण के साथ-साथ सुरक्षा एकीकरण भी है और इसका संकेन्द्रण दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ-साथ पूर्वी-एशिया में भी बढ़ गया है।

एक्ट ईस्ट पॉलिसीः यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विस्तारित पड़ोसी देशों पर केंद्रित है। इस नीति की अभिकल्पना में आर्थिक पहल, जिसमें वार्ता एवं सहयोग के लिए संस्थागत तंत्रें को स्थापित किए जाने सहित राजनीतिक, रणनीतिक तथा सांस्कृतिक आयाम शामिल हैं, को महत्व प्रदान किया गया है।

  • ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का उद्देश्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय स्तरों पर सतत संबद्धता के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना तथा रणनीतिक संबंधों का विकास करना है, जिससे अरुणाचल प्रदेश सहित हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के साथ पड़ोसी देशों से संपर्क बढ़ाया जा सकेगा। एक्ट ईस्ट पॉलिसी में पूर्वोत्तर भारत को प्राथमिकता दी गई है।
  • प्रधानमंत्री मोदी के समयकाल में ही भारत की (Look East Policy) पूर्व की ओर देखो के स्थान पर “Act East Policy ” की शुरूआत की गयी। इसका तात्पर्य यह है कि भारत अब ‘‘जानने की सीमा’’ (Limit of Knowing) पार कर चुका है, इसलिये अब ‘क्रियान्वयन की स्थिति’ (Act Mode) में आ जाना चाहिए।
  • भारत को पूंजी (Capital), प्रौद्योगिकी (Technology) संसाधन (Resource), ऊर्जा बाजार और कौशल (Enterprise) एक सुरक्षित वातावरण, पड़ोसियों का शान्तिपूर्ण व्यवहार तथा एक स्थिर वैश्विक प्रणाली (Stable Global System) की आवश्यकता है।’ इस नीति पर आगे जाने के लिए रास्ता ‘3C’ अर्थात् Commerce (वाणिज्य), Culture (संस्कृति) और Connectivity (जुड़ाव) से होकर जाता है।