रामसर अभिसमय

अभिसमय आधुनिक वैश्विक अंतर-सरकारी पर्यावरण समझौतों में सर्वाधिक पुराना है।

  • प्रवासी जलपक्षियों के लिए आर्द्रभूमि पर्यावास की बढ़ती हानि एवं क्षरण के बारे में चिंतित देशों तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा 1960 के दशक के दौरान संधि पर वार्ता की गई थी।
  • इसे 1971 में ईरान के एक शहर रामसर में अंगीकृत किया गया था एवं यह 1975 में प्रवर्तन में आया था। तब से आर्द्रभूमियों पर अभिसमय को रामसर अभिसमय के रूप में जाना जाता है।
  • यह अभिसमय भारत में 1 फरवरी, 1982 को प्रवर्तन में आया।
  • अनुबंध करने वाले पक्षकारों ने सीओपी 12 में 2016-2024 के लिए चौथी रणनीतिक योजना को अपनी स्वीकृति प्रदान की।

उद्देश्यः रामसर अभिसमय का व्यापक उद्देश्य विश्व भर में आर्द्रभूमियों के ह्रास को रोकना है एवं जो शेष हैं, उन्हें बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग एवं प्रबंधन के माध्यम से संरक्षित करना है।

रामसर आर्द्रभूमीः रामसर अभिसमय उन स्थलों के अभिधान को प्रोत्साहित करता है; जिनमें प्रतिनिधि, दुर्लभ या अद्वितीय आर्द्रभूमियां, अथवा वे आर्द्रभूमियाँ शामिल हैं, जो जैविक विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

  • एक बार निर्दिष्ट हो जाने पर (अर्थात इसके समावेशन के मानदंड को पूरा करने के बाद), इन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमियों की अभिसमय की सूची में जोड़ दिया जाता है तथा इन्हें रामसर स्थलों के रूप में जाना जाता है।

मोंट्रेक्स रेकॉर्ड

  • रामसर संधि के तहत आर्द्र भूमि स्थलों की एक पंजी तैयार की गई है, जिसे मोंट्रेक्स रेकॉर्ड (Montreux Record) कहते हैं।
  • इस पंजी में विश्व-भर की महत्त्वपूर्ण आर्द्र भूमियों के विवरण अंकित हैं।
  • इसमें यह भी दर्शाया गया है कि तकनीकी विकास, प्रदूषण अथवा अन्य मानवीय हस्तक्षेप से किन आर्द्रभूमियों पर पर्यावरणिक परिवर्तन हो चुके हैं, हो रहे हैं अथवा होने वाले हैं।
  • इस पंजी में कोई नई आर्द्रभूमि का नाम डालना हो अथवा निकालना हो तो उसके लिए कांफ्रेंस ऑफ द कांट्रेक्टिंग पार्टीज (1990) का अनुमोदन अनिवार्य होता है।
  • मोंट्रेक्स रेकॉर्ड रामसर सूची के अंग के रूप में संधारित है।
  • वर्तमान में भारत की दो आर्द्रभूमियाँ मोंट्रेक्स रेकॉर्ड में अंकित हैं। ये हैं- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर, राजस्थान) और लोकताक झील (मणिपुर)।
  • एक बार चिल्का झील (ओडिशा) को इस सूची में स्थान दिया गया था, परन्तु आगे चलकर इसे वहाँ से हटा दिया गया था।