​कुतुब शाही स्थापत्य कला

जुलाई, 2022 में, गोलकोंडा या गोलकुंडा किले के कुतुब शाही मकबरे में स्थित "बाबड़ी" को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को के "एशिया-प्रशांत पुरस्कार" से सम्मानित किया गया ।

प्रमुख तथ्य: गोलकोंडा किले (तेलंगाना) की बावड़ी 16वीं सदी में निर्मित एक कुआं है। यह संरचना फारसी शैली में निर्मित है। इतिहासकारों के अनुसारए इस बावड़ी के अंदर से हाथियों की मदद से जल निकाला जाता था।

  • इस स्मारक को विशिष्टता (Distinction) का पुरस्कार दिया गया है।
  • यह पुरस्कार निम्नलिखित श्रेणियों के अंतर्गत दिया जाता हैः उत्कृष्टता पुरस्कार, विशिष्टता पुरस्कार, मेरिट पुरस्कार, विरासत के संदर्भ में नए डिजाइन के लिए पुरस्कार और सतत विकास के लिए विशेष मान्यता का पुरस्कार।
  • यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2000 में सांस्कृतिक विरासत संरक्षण कार्यक्रम के लिए की गई थी।
  • यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद विरासत की दृष्टि से महत्वपूर्ण संरचनाओं और इमारतों के पुनर्निर्माण, संरक्षण और रूपांतरण जैसे कार्यों में लगे निजी व्यत्तिफ़यों और संगठनों के प्रयासों को मान्यता देता है।

कुतुब शाही स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषताएं:

  • इमारतों में गुंबदों के स्थान पर मीनारों का प्रयोग किया गया है।
  • इमारतों पर किया गया अलंकरण और सजावट उत्कृष्ट है। विशेष रूप से इमारतों की मुंडेरों (Parapets) को अधिक अलंकृत किया गया है। टाइल्स के उपयोग के साथ कहीं-कहीं स्टुको या कट प्लास्टर का भी उपयोग किया गया है।
  • स्टुकोः यह दीवार पर प्लास्टर की एक विधि है। इसकी सामग्री आमतौर पर पोर्टलैंड सीमेंट, रेत और अल्प मात्र में चूने से बनी होती है।
  • इमारतों में काले बेसाल्ट पत्थर का अधिक उपयोग किया गया है।