दक्षिण भारत की लघु चित्रकला

तंजौर पेंटिंग: राष्ट्रीय संग्रहालय के संग्रह मे तंजावुर चित्रकला का एक प्रतीकात्मक उदाहरण उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ का एक सचित्र काष्ठ फलक है जिस पर राम के राज्याभिषेक को दर्शाया गया है। इसकी शैली सजावटी है और चटकीलें रंगों का प्रयोग तथा अलंकरी साजो सामान इसकी विशेषताएं हैं।

  • सजावटी चित्रों की विशेष शैली के लिए प्रसिद्ध है।
  • ये पेंटिंग अद्वितीय हैं क्योंकि इन्हें उत्तर भारत में पसंद किए जाने वाले कपड़ों के बजाय ज्यादातर कांच और बोर्ड पर बनाया गया है।
  • वे अपनी रंग पैटर्न के उपयोग और सोने की पत्ती के उदार उपयोग के कारण अद्वितीय हैं।
  • उन्होंने अलंकरणों के लिए कई प्रकार के रत्नों का इस्तेमाल किया ताकि जीवन से जुडी कई आकृति को बनाया जा सके ।
  • अधिकांश चित्रों में कृष्ण को विभिन्न मुद्राओं में और उनके जीवन की विभिन्न प्रमुख घटनाओं में मुस्कुराते हुए दिखाया गया है।
  • सरफोजी महाराज के संरक्षण में ये पेंटिंग अपने चरम पर पहुंच गईं।

मैसूर पेंटिंग: मैसूर पेंटिंग का प्रमुख विषय हिंदू देवी-देवताओं का चित्रण है।

  • इन पेंटिंग्स की विशेषता यह है कि इनमें प्रत्येक पेंटिंग में दो या दो से अधिक आकृतियां होती हैं और एक आकृति अन्य सभी आकार और रंग में प्रमुख होती है।
  • इसमें ‘गेसो पेस्ट’ का उपयोग किया जाता है , जो जिंक ऑक्साइड और अरबी गोंद का मिश्रण होता है।