आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए राजकोषीय उपाय
सरकार अंतर-मंत्रलयी समिति और सचिवों की समिति के द्वारा नियमित समीक्षा के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन और उपलब्धता पर कड़ी नजर रखती है।
आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए निम्नलिखित राजकोषीय उपाय किए गए हैंः
अनाज
घरेलू कीमतों में उछाल को रोकने के लिए 13 मई, 2022 को गेहूँ के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
12 जुलाई, 2022 से गेहूँ के आटे के निर्यात की अनुमति दी गई थी लेकिन अंतर-मंत्रलयी समिति द्वारा अनुशंसित प्रतिबंधों के अधीन थे।
14 अगस्त, 2022 से मैदा और सूजी के निर्यात को अंतर-मंत्रलयी समिति की मंजूरी के बाद ही अनुमति दी गई थी।
दिनांक 27 अगस्त 2022 की अधिसूचना ने गेहूँ या मेसलिन आटा (आटा), मैदा, समोलिना (रवा/सिरगी), साबुत आटा और परिणामी आटा के निर्यात पर रोक लगा दी है।
नीति में इस संशोधन का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और देश में गेहूँ के आटे की बढती कीमतों पर रोक लगाना है।
9 सितंबर 2022 से प्रभावी केंद्र सरकार चावल, ब्राउन राइस और सेमी-मिल्ड के साथ-साथ परबोल्ड राइस को छोड़कर पूरी तरह मिल्ड राइस पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया।
दलहन
2020-21, 2021-22 और 2022-23 में मूल्य स्थिरीकरण के लिए दालों का बफर स्टॉक बनाए रखा गया है। बफर स्टॉक से दालों के कैलिब्रेटेड रिलीज से बाजार कीमतों में संतुलन आयेगा।
26 जुलाई, 2021 से मसूर पर आयात शुल्क शून्य प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा, 12 फरवरी, 2022 से मसूर पर कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (एआईडीसी) को शून्य प्रतिशत पर लाया गया था। एआईडीसी की शून्य दर को 31 मार्च, 2023 तक बढा दिया गया।
30 मार्च, 2022 को मुक्त श्रेणी के तहत तुअर और उड़द का आयात 31 मार्च, 2023 तक बढा दिया गया।
1 सितंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत वितरण के लिए राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रें को 1-5 मिलियन टन चना रियायती दर पर उपलब्ध कराने का फैसला किया। राज्य अपने संबंधित निर्गम मूल्य पर 8 रुपये प्रति किलोग्राम की छूट पर चना खरीद सकेंगे।
खाद्य तेल
केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए 24 मई, 2022 को कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल, प्रत्येक के 20 लाख मीट्रिक टन के वार्षिक आयात पर सीमा शुल्क और एआईडीसी को छूट दी।
21 दिसंबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक रिफाइंड पाम ऑयल पर बेसिक डड्ढूटी 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी और 13 फरवरी, 2022 से 30 सितंबर 2022 तक क्रूड पाम ऑयल पर बेसिक डड्ढूटी 7.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई। केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर, 2022 तक रिफाइंड पाम ऑयल के मुफ्रत आयात की अनुमति दी है।
केंद्र सरकार ने नवंबर, 2021 में क्रूड पाम ऑयल, क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सनफ्रलॉवर ऑयल पर बेसिक डड्ढूटी 2.5 फीसदी से घटाकर शून्य कर दी थी। इन तेलों पर कृषि उपकर को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
दिनांक 14 अक्टूबर, 2021 की अधिसूचना के माध्यम से, रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को मौजूदा 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
सोया मील की घरेलू कीमतों को कम करने के लिए, केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम की अनुसूची में संशोधन करके 30 जून 2022 तक ‘सोया मील’ को आवश्यक वस्तु घोषित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत एक आदेश अधिसूचित किया है। सोया मील पर 23 दिसंबर, 2021 से 30 जून 2022 तक के लिए स्टॉक सीमा लगाई गई है।
सभी खाद्य तेलों और तिलहनों पर लगाई गई स्टॉक सीमा को दिनांक 3 फरवरी 2022 के आदेश द्वारा लाइसेंसिंग आवश्यकताओं को हटाने, विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर स्टॉक सीमा और आवाजाही पर प्रतिबंध आदेश, 2016 में संशोधन करके 31 दिसंबर 2022 तक बढा दिया गया था। इस उपाय से बाजार में जमाखोरी, कालाबाजारी आदि जैसी किसी भी अनुचित प्रथा पर अंकुश लगा और इससे खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिली।