डीप ओशन मिशन प्रारंभ

मार्च 2022 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रलय द्वारा डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission - DOM) लॉन्च किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) डीप ओशन मिशन के कार्यान्वयन में पृथ्वी विज्ञान मंत्रलय का सहयोग कर रहा है।

उद्देश्यः इस मिशन का उद्देश्य जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करना और तापीय ऊर्जा के स्रोतों का पता लगाने के लिए एक अपतटीय समुद्री स्टेशन की स्थापना करना है।

मुख्य बिंदुः राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology-NIOT) तीन मनुष्यों को 6,000 मीटर समुद्र की गहराई तक ले जाने में सक्षम एक पनडुब्बी विकसित कर रहा है। एनआईओटी पृथ्वी विज्ञान मंत्रलय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।

  • इसरो के द्वारा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (Vikram Sarabhai Space Center- VSSC) में मानवयुक्त पनडुब्बी निर्माण के लिए आवश्यक टाइटेनियम मिश्र धातु को विकसित किया जा रहा है।
  • डीप ओशन मिशन की कुल अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रु. है, जो पांच साल (2021 से 2026) की अवधि के लिए आवंटित की गई है।

महत्त्वः यह मिशन गहन सागरीय खनन, समुद्री जलवायु परिवर्तन संबंधी सलाहकारी सेवाओं, अन्तर्जलीय वाहनों एवं अन्तर्जलीय रोबोटिक्स संबंधी प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित होगा।

  • यह भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन (Central India Ocean Basin - CIOB) में संसाधनों का दोहन करने की क्षमता विकसित करने में सक्षम बनाएगी।
  • यह मिशन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति को बढ़ाएगा; जहां चीन, कोरिया और जर्मनी जैसे अन्य देश सक्रिय हैं।
  • मध्य हिंद महासागर बेसिन क्षेत्र में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं के भण्डार हैं। इस विशाल भण्डार के मात्र 10 प्रतिशत दोहन से भारत की अगले 100 वर्षों तक आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं।