इस संधि को वर्ष 1971 में हस्ताक्षरित किया गया था, जिसकी 50वीं वर्षगांठ 2021 में मनाई गई। इसमें पारस्परिक रणनीतिक सहयोग निर्दिष्ट किया गया था। सोवियत संघ के विघटन के बाद इसे राष्ट्रपति के दौरान भारत-रूस मैत्री और सहयोग की 20 वर्षीय संधि द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
संबंधों का महत्व
रक्षा सहयोगः दोनों देशों द्वारा अगले दशक वर्ष 2021 से 2031 तक के एक सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग के लिये एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किया गया।
ऊर्जा क्षेत्रः दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करने का दूसरा अहम क्षेत्र ऊर्जा है। इसमें सिर्फ हाइड्रोकार्बन (तेल और गैस) ही नहीं शामिल है, बल्कि परमाणु ऊर्जा भी शामिल हैं। भारत गैस रूस से आयात करता है भारत का लक्ष्य आने वाले पांच सालों में रूस से तेल के आयात को मौजूदा 1 फीसदी से 4 से 5 फीसदी बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त पेट्रोकेमिकल भी एक क्षेत्र है जिसे लेकर पारादीप क्रैकर प्लांट में रूसी निवेश और आर्कटिक में आईएनजी-2 को लेकर भारतीय निवेश की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
आर्थिकः भारत-रूस का वार्षिक व्यापार मात्र 10 बिलियन डॉलर का है, जबकि चीन के साथ रूस का वार्षिक व्यापार 100 बिलियन डॉलर से कुछ मूल्य का ही है। दूसरी ओर, भारत का अमेरिका और चीन के साथ माल का व्यापार 100 बिलियन डॉलर के स्तर पर है।
तकनीकीः दोनों देशों के बीच विज्ञान और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में एक ज्वाइंट कमिशन स्थापित करने का प्रस्ताव है। इसमें क्वान्टम, नैनोटेक्नोलॉजी, साइबर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, स्पेस और बायो-टेक्नोलॉजी, फार्मास्यूटिकल, डिजिटल फाइनेंस, रसायन और सेरामिक्स के क्षेत्र शामिल होंगे।
समकालिन मुद्दे
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