रूस का भारत हेतु महत्व

पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रमण ने भारत-चीन संबंधों को एक मोड़ पर ला दिया इसलिए चीन को संतुलित करना भारत की प्राथमिकता का अंग है।

  • रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारत को विस्तार करने तथा हथियारों, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा और हीरे जैसे सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा आर्थिक जुड़ाव के नए क्षेत्रों के उभरने की संभावना है।
  • इनमें खनन, कृषि-औद्योगिक और उच्च प्रौद्योगिकी, जिसमें रोबोटिक्स, नैनोटेक तथा बायोटेक शामिल हैं।
  • रूस एक सुधारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
  • वैश्विक आतंकवाद तथा वैश्विक संघर्ष के दौर में एक स्थाई मित्र की आवश्यकता के मद्देनजर रूस भारत का एक रणनीतिक साझीदार बन सकता है।

संबंधों का भविष्य

भारत और रूस के मध्य संबंधों का भविष्य रक्षा और ऊर्जा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में बढ़ाना तथा रूस के साथ में एक साझा सामरिक साझेदारी का करना लाभप्रद होगा।

  • हिन्द प्रशांत क्षेत्रा में रूस का सहयोग तथा भारत द्वारा अधिक व्यापक यूरेशियाई साझेदारी के रूस के प्रस्ताव पर आगे विचार किया जाना चाहिए।