दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात, नये रूसी राष्ट्रपति बोरिस यैल्तसिन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ घनिष्ठ संबंधों को कायम रखा, और भारत के साथ ‘‘व्यावहारिक नवीनीकरण’’ की आवश्यकता पर भी जोर दिया। 1993 में यैल्तसिन की भारत यात्रा के दौरान, भारत और रूस के बीच मित्रता और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते ने 1971 के शांति, मित्रता और सहयोग के समझौते का स्थान लिया तथा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के समय जब रणनीतिक हिस्सेदारी की घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए तो भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाई और संवेग प्राप्त हुआ। रूस के साथ संबंध भारत की विदेश नीति के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और रूस भारत का दीर्घकाल से समय की कसौटी पर खरा उतरा भागीदार देश है। अक्टूबर 2000 में भारत-रूस कूटनीतिक भागीदारी संबंधी घोषणा पर (रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान) हस्ताक्षर किये जाने के बाद से भारत-रूस संबंधों में गुणवत्ता की दृष्टी से नई विशेषता आ गई है।
भारतीय विदेश मंत्री की रूस यात्रा
7 से 9 जुलाई, 2021 के दौरान भारतीय विदेश मंत्री रूस की आधिकारिक यात्रा पर थे।
इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) व रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) ने परमाणु, अंतरिक्ष, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग की प्रगति की समीक्षा की।