पश्चिम एशियाई क्षेत्र- यमन, सीरिया, लीबिया में भू-राजनीतिक कारकों और संघर्षों की वजह से वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर सम्बंधों में बहुत ज्यादा बदलाव और तनाव।
अमेरिका-ईरान विवाद ने भी इस क्षेत्र को तनाव में ही रखा है और इस वजह से ईरानी नाभिकीय कार्यक्रम पर लगी रोक से उपजा तनाव।
जी-सी-सी- के भीतर बढ़ता विभाजन जो वैश्विक आर्थिक संकट, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 का तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभाव, ओपेक में चल रहा आंतरिक गतिरोध, तेल की कीमतों में वर्तमान गिरावट ने इसे और गहरा कर दिया है।
वैश्विक लॉकडाउन के कारण हाइड्रोकार्बन की खपत में कमी आ गई है।
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के बाद कच्चे तेल के उपभोग में प्रतिदिन 28 मिलियन बैरल की गिरावट दर्ज की गई है।
इतिहास में घटित कई घटनाओं जैसे मस्कट सम्मेलन (1975), ईरान की क्रांति (1979) और इराक-ईरान युद्ध (1980) जैसी घटनाओं ने इस क्षेत्र में राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया। इसके बाद क्षेत्र में अमेरिका के हित साधन की नीतियों और दमनकारी भूमिका ने भी क्षेत्र में तनाव और वैश्विक दबाव को और ज्यादा बढ़ाया।